कानपुर. कानपुर के बिकरू गांव में ही घटना के मामले में बड़ा एक्शन लिया गया है। एसएसपी दिनेश कुमार ने इस मामले में चौबेपुर थाने के पूरे स्टाफ को लाइन हाजिर कर दिया है। लाइन हाजिर होने वालों में उ0नि0, मुख्य आरक्षी व आरक्षियों समेत 68 पुलिसकर्मी शामिल हैं। आपको बता दें कि आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर अब पुलिस ने ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।
विकास दुबे की तलाश में फरीदाबाद के होटल में रेड
यूपी पुलिस ने विकास दुबे की तलाश में दिन रात एक किया हुआ है। मंगलवार को पुलिस ने विकास की तलाश में फरीदाबाद के एक होटल में रेड मारी। पुलिस को इनपुट मिला था कि विकास फरीदाबाद के होटल में छिपा हुआ है, लेकिन आशंका है कि विकास दुबे रेड से पहले ही फरार हो गया। हालांकि पुलिस ने विकास दुबे के एक साथी को होटल से हिरासत में लिया है।
विकास दुबे को राजनीतिक संरक्षण की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराई जाए जांच: AAP
आम आदमी पार्टी (आप) ने कानपुर जिले के बिकरू गांव में पिछले हफ्ते आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मास्टरमाइंड विकास दुबे के 60 मुकदमों में वांछित होने के बावजूद खुलेआम घूमने के मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच करने की मांग की है।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में सवाल उठाया कि दुबे पर 60 मुकदमे दर्ज थे और वह ढाई साल से बाहर घूम रहा था, आखिर उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? इसकी उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जानी चाहिए ताकि खुलासा हो सके कि दुबे को किसका राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘योगी आदित्यनाथ के राज में उत्तर प्रदेश में अपराध चरम पर हैं। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे अभी तक फरार है और योगी की पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रही है।’’ सिंह ने गत दो/तीन जुलाई की दरमियानी रात को दुबे के गुर्गों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में शहीद हुए पुलिस उपाधीक्षक देवेन्द्र मिश्रा द्वारा 14 मार्च को अपने अधिकारी को लिखे कथित पत्र का जिक्र भी किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि मिश्रा ने उस पत्र में गम्भीर घटना घटित होने की आशंका जताई थी और चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी और अपराधी विकास दुबे का सच खोला था। सिंह ने कहा कि अगर कुछ अधिकारियों ने उनके इस पत्र को गंभीरता से लेकर विकास दुबे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की होती तो इतनी बड़ी घटना न हो पाती।
सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शायद यह पहली घटना है, जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक, तीन उप निरीक्षक और चार सिपाही मारे गए। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने बड़े अपराधी को पकड़ने गए पुलिसकर्मियों के पास बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं थी और न ही पुलिस के पास आधुनिक हथियार थे।