नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गुरुवार को कहा कि भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटिश अधिकारियों को साक्ष्य मुहैया कराने में कोई देरी नहीं की गई है। माल्या पर बैंकों से 900 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर गुपचुप तरीके से देश छोड़ देने का आरोप दर्ज है। उसने अपनी बंद हो गई कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए आईडीबीआई बैंक से भी कर्ज लिया था। एजेंसी ने यह प्रतिक्रिया उन रिपोटरें के मद्देनजर दी है, जिसमें कहा गया कि ब्रिटिश अधिकारियों के साथ माल्या के केस से जुड़े दस्तावेजों में साझा करने में भारत की तरफ से देरी की गई है।
CBI ने एक बयान में स्पष्ट किया कि साल 2016 के मार्च से लंदन में रह रहे माल्या के प्रत्यर्पण से जुड़े दस्तावेजों को इस साल फरवरी में ब्रिटिश अधिकारियों को भेज दिया गया, जबकि इसके समर्थन में अतिरिक्त दस्तावेजों को क्राउन प्रोसेक्यूशन सर्विस (सीपीएस) को मंगलवार (13 जून) को की गई सुनवाई से पहले ही सौंप दिए गए थे।
CBI के बयान में यह भी कहा गया था कि 13 जून की सुनवाई में मामले की प्रबंधन समीक्षा की गई थी। इसके तहत मामले की सुनवाई का टाइमटेबल तैयार किया गया था, ना कि प्रत्यर्पण पर कोई सुनवाई की गई थी। सीबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्रिटिश अदालत ने सुनवाई के दौरान भारत के प्रत्यर्पण के अनुरोध की आलोचना नहीं की थी।