नई दिल्ली। सोमवार को राज्यसभा में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर एक साथ चर्चा हुयी। इस दौरान विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर जम्मू कश्मीर में लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ नहीं कराने को लेकर भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधा।
विपक्ष को जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा कारणों से जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ राज्यसभा चुनाव नहीं हो सका। उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव के अंदर महज 6 सीटें हैं, प्रत्याशियों की संख्या कम होती है। आज भी जम्मू-कश्मीर के अंदर हम सभी दल मिलकर भी ऐसी स्थिति का निर्माण नहीं कर पाए कि प्रत्याशियों को सुरक्षा दिए बगैर हम चुनाव करवा दें।”
गृहमंत्री अमित शाह ने आगे कहा, “विधानसभा के चुनाव में कम से कम एक हजार प्रत्याशी होंगे। इस दौरान उनका प्रचार, उनकी मीटिंग्स, उनके दौरे और राष्ट्रीय नेताओं के दौरे। इस बारे में सुरक्षा बलों ने अपनी असमर्थता जाहिर की थी। इस दौरान देश के बाकी हिस्सों में चुनावों सुरक्षा उपलब्ध करवानी थी।”
‘भारत को तोड़ने की बात करने वालों को उन्हीं की भाषा में देंगे जवाब’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते है उसके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे। जम्मू कश्मीर के किसी भी लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने आगे कह, “कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे। एक समय आएगा जब माता क्षीर भवानी मंदिर में कश्मीर पंडित भी पूरा करते दिखाई देंगे और सूफी संत भी वहां होंगे। मैं निराशावादी नहीं हूं। हम इंसानियत की बात करते हैं।”
‘जम्मू-कश्मीर में हैं आयुष्मान भारत योजना के सबसे ज्यादा लाभार्थी’
सरकार की योजनाओं की बात करते हुए अमित शाह ने कहा, “मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल के अंदर किसी एक राज्य में सबसे ज्यादा लाभार्थी हैं तो वो जम्मू कश्मीर में हैं। नरेन्द्र मोदी सरकार में गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। ये इंसानियत है।”