नई दिल्ली: गिरगिट के रंग बदलने के बारे में तो आपने खूब सुना होगा लेकिन क्या अपने सांप के रंग बदलने के बारे में सुना है। आपको बता दें कि झारखंड की राजधानी रांची के ओरमांझी प्रखंड में चिड़िया घर के स्नेक हाउस में देखा गया। झारखंड में विरले पाया जानेवाला इस प्रजाति का एक सांप मिला है। बता दें कि ‘कॉपर हेडेड त्रिंकेट’ प्रजाति का यह सांप जमशेदपुर में पकड़ा गया है। मंगलवार की रात पारडीह काली मंदिर के समीप स्थित एक घर से इस सांप को पकड़ा गया। इस सांप को जमशेदपुर से रांची लाया गया है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
विशेषज्ञों के अनुसार यह सांप झारखंड में बहुत कम पाया जाता है। पूर्वोत्तर के राज्यों में इस प्रजाति के सांप बहुतायत में पाये जाते हैं। बोलुब्रिडाई परिवार के सांप की यह प्रजाति उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में मिलते हैं। झारखंड, बिहार, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में भी ये सांप पाये जाते हैं, लेकिन यहां बहुतायत में नहीं मिलते।
सदाबहार के जंगल इनके प्रिय स्थान हैं। पानी के आसपास रहना पसंद करते हैं। पूर्वोत्तर भारत के इलाके इन्हें बेहद प्रिय हैं। इस प्रजाति के सांप गुफाओं में, मिट्टी के मेड़ों पर और लकड़ी के ग_रों के बीच छिप कर रहते हैं। लालिमा लिये भूरे शरीर पर चार काली धारियां इसकी विशिष्ट पहचान है। इसका सिर तांबे के रंग का होता है। यह सांप कभी भी अपना रंग बदल लेता है। जन्म के समय इसकी लंबाई 25-30 सेंटीमीटर होती है। इसकी औसत लंबाई 150 सेंटीमीटर और अधिकतम लंबाई 230 सेंटीमीटर तक होती है।
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