नई दिल्ली: देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस का महाभियोग प्रस्ताव खारिज हो गया है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कांग्रेस के प्रस्ताव को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया है। नायडू ने कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए महाभियोग के नोटिस में ठोस कारणों की कमी बताते हुए आज उसे खारिज कर दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। उपराष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है।
बता दें कि कांग्रेस ने चीफ जस्टिस पर प्रशासनिक फैसलों पर सवाल उठाए थे और उन पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
LIVE Updates:
- CJI पर गंभीर आरोप हैं और उपराष्ट्रपति महाभियोग के नोटिस पर सिर्फ मशविरा ले सकते हैं उसे खारिज नहीं कर सकते: प्रशांत भूषण
- महाभियोग के प्रस्ताव को खारिज करने के फैसले से निराश नहीं, आगे का जो भी विकल्प होगा उस पर विचार किया जाएगा: पीएल पुनिया
- उपराष्ट्रपति ने महाभियोग प्रस्ताव को राजनीति से प्रेरित बताया, कहा, कोई भी आरोपों के पीछे ठोस सबूत नहीं
- फैसले की कॉपी देखने बाद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा विपक्ष
सभापति को प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं: सुरजेवाला
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए दिया गया नोटिस राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू द्वारा आज खारिज किए जाने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि उपराष्ट्रपति को इस प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नोटिस खारिज होने के बाद कई ट्वीट कर नाराजगी जतायी है। उन्होंने लिखा है, ‘‘महाभियोग की संवैधानिक प्रक्रिया 50 सांसदों (राज्यसभा में) की ओर से प्रस्ताव (नोटिस) दिए जाने के साथ ही शुरू हो जाती है। राज्यसभा के सभापति प्रस्ताव पर निर्णय नहीं ले सकते, उन्हें प्रस्ताव के गुण-दोष पर फैसला करने का अधिकार नहीं है। यह वास्तव में ‘‘लोकतंत्र को खारिज’’ करने वालों और ‘‘लोकतंत्र को बचाने वालों’’ के बीच की लड़ाई है।’’
कल उपराष्ट्रपति ने कानून और संविधान के जानकारों से ली थी राय
इससे पहले कल उपराष्ट्रपति ने कानून और संविधान के जानकारों से राय ली थी। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पद से हटाने संबंधी कांग्रेस तथा अन्य दलों की ओर से दिए गए नोटिस पर कल संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया था। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने याचिका को स्वीकारने अथवा ठुकराने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी. के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली थी। इसके बाद नायडू ने आज विपक्षी दलों के इस नोटिस पर फैसला लिया।
महाभियोग प्रस्ताव खारिज क्यों?
- कांग्रेस के आरोपों के पीछे कोई ठोस सबूत नहीं, किसी आरोप से CJI पर पद के दुरुपयोग के आरोप साबित
- कोई तथ्य ऐसे नहीं जिसकी आगे जांच की जरूरत, CJI का कामकाज पूरी तरह से न्यायपालिका के दायरे में
- CJI के कामकाज पर उठाए गए सवाल आधारहीन, लोकतंत्र के स्तंभ को कमज़ोर करने की इज़ाजत नहीं दे सकते
- संविधान विशेषज्ञों की राय महाभियोग प्रस्ताव के ख़िलाफ़
गौरतलब है कि शुक्रवार को कांग्रेस सहित सात विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस दिया था।