गुरदासपुर। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को करतारपुर साहिब गलियारे की आधारशिला रखी। सिख श्रद्धालुओं के लिए इस गलियारे के रास्ते पाकिस्तान स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब जाना सुगम हो जाएगा। रावी नदी के तट पर स्थित इस गुरुद्वारे का सिखों के लिए बहुत महत्व है क्योंकि पंथ के पहले गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल यहां गुजारे थे।
सिख गुरु द्वारा 1522 में स्थापित यह गुरुद्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गलियारे के निर्माण की मांग सिख समुदाय लंबे समय से कर रहा था। गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय सीमा तक गलियारा बनाने का फैसला केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में 22 नवंबर को किया गया। अपनी सीमा में इस गलियारे का निर्माण पाकिस्तान करेगा और उसकी आधारशिला बुधवार को रखी जाएगी।
सिख श्रद्धालुओं के लिए गलियारे के निर्माण का प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब भारत-पाकिस्तान के बीच संबंध बेहद खराब हैं और पाकिस्तानी धरती से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी समूहों द्वारा 2016 से ही किए जा रहे हमलों के कारण देशों के बीच सभी द्विपक्षीय संबंध स्थगित हैं। इनमें पठानकोट वायुसेना शिविर पर हुआ हमला भी शामिल है।
वहीं 18 नवंबर को अमृतसर स्थित निरंकारी भवन पर समागम के दौरान बाइक सवार दो लोगों ने ग्रेनेड से हमला कर दिया था। इसमें तीन लोग मारे गए थे जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इसके लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समर्थित आतंकवादी समूह को जिम्मेदार बताया था। आधारशिला रखने के दौरान मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि पंजाब से गलियारे के रास्ते पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारे जाने की इच्छा रखने वालों के लिए वीजा की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए।
आतंकवाद के मुद्दे को लेकर सिंह ने निकट भविष्य में पाकिस्तान जाने की संभावना से इंकार किया। साथ ही उन्होंने कहा कि वह अगले साल गलियारे से होकर करतारपुर जाने वाले पहले जत्थे के साथ जाएंगे। पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनोरे भी आधारशिला रखने के कार्यक्रम में शामिल हुए। नायडू, सिंह और बदनोरे ने पौधे लगाकर गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश वर्ष पर 550 पेड़ लगाने के पंजाब सरकार की योजना की शुरूआत की।
इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, हरदीप सिंह पुरी, विजय सांपला, पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनोरे, कैबिनट मंत्री टी. राजिन्दर सिंह बाजवा, साधू सिंह धरमसोट, चरनजीत सिंह चान्नी, अरूणा चौधरी भी मौजूद थे।