नई दिल्ली। प्रख्यात विधिवेत्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी का रविवार को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह बेहद कठिन और जटिल आपराधिक मुकदमों के वकील रहे और इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी हत्या मामले में आरोपियों का बचाव भी किया था। जेठमलानी ने नई दिल्ली स्थित अपने आधिकारिक आवास पर सुबह 7.45 बजे अंतिम सांस ली।
कुछ महीनों से खराब थी तबियत
उनके बेटे महेश जेठमलानी ने पीटीआई से कहा कि पिछले कुछ महीने से उनकी तबियत ठीक नहीं थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जेठमलानी के निधन पर दुख जताया।
लोधी रोड श्मशान घाट पर किया गया अंतिम संस्कार
परिजनों, मित्रों और कई गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में शाम को लोधी रोड श्मशान घाट पर जेठमलानी का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान केन्द्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी उपस्थित थे। उनके पुत्र और वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने मुखाग्नि दी। राम जठमलानी की बेटी शोभा और पुत्रवधू भी अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद थीं।
96वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले हुआ निधन
महेश ने बताया कि जेठमलानी का जन्मदिन 14 सितम्बर था और अपने 96वें जन्मदिन से कुछ दिन पहले ही उनका निधन हो गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री के परिवार में महेश के अलावा उनकी बेटी है जो अमेरिका में रहती है। उनकी एक अन्य बेटी रानी जेठमलानी का 2011 में निधन हो गया था जबकि एक अन्य बेटे जनक की भी पहले मृत्यु हो चुकी है।
वाजपेयी सरकार में रहे केंद्रीय मंत्री
जेठमलानी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय केंद्रीय कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री रहे थे और बाद में 2004 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट से उन्हीं के खिलाफ चुनाव लड़े। वह 2010 में उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे।
राष्ट्रपति, पीएम सहित तमाम नेताओं ने जताया शोक
राष्ट्रपति सचिवालय ने ट्वीट किया, ‘‘पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के निधन से दुखी हूं। वह सार्वजनिक मुद्दों पर अपनी राय जाहिर करने के लिए जाने जाते थे। देश ने एक प्रख्यात विधिवेत्ता, बुद्धिजीवी को खो दिया है।’’ उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि जेठमलानी ‘‘भारत के बड़े बुद्धिजीवियों में थे' और देश ने एक प्रख्यात विधिवेत्ता, देशभक्त और बुद्धिजीवी को खो दिया है जो अपने अंतिम सांस तक सक्रिय रहे।’’
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जेठमलानी ‘‘हाजिर जवाब, साहसी और किसी भी विषय पर विचार व्यक्त करने से नहीं हिचकने वाले व्यक्ति थे।’’ प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘‘राम जेठमलानी के निधन से भारत ने एक शानदार वकील और हस्ती को खो दिया है जिसने अदालत और संसद दोनों स्थानों पर काफी योगदान किया।’’
अमित शाह ने कहा जेठमलानी का निधन कानूनी जगत के लिए ‘‘अपूरणीय क्षति’’
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जेठमलानी के निधन की खबर जानकर ‘‘उन्हें गहरा दुख’’ हुआ है और इसे पूरे कानूनी जगत के लिए ‘‘अपूरणीय क्षति’’ बताया है। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि देश ने अपने ‘‘बेहतरीन वकील’’ को खो दिया है जो काफी साहसी थे तथा काफी संवेदनशील और संवैधानिक मामलों को लड़े। सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने भी उनके निधन पर दुख जताया।
उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने जेठमलानी को ‘‘शानदार संसद सदस्य’’ और ‘‘आपराधिक कानून का अगुआ’’ करार दिया। एससीबीए ने कहा कि जेठमलानी जी वास्तव में भारतीय बार के दिग्गज थे और विलक्षण प्रतिभा के वकील थे। भारत का पूरा कानूनी समाज उन्हें लंबे समय तक याद रखेगा।
कांग्रेस ने जेठमलानी के परिवार के साथ जताई संवेदना
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जेठमलानी के निधन पर उनके परिवार और दोस्तों से संवेदना जताई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उन्हें ‘‘कुशल प्रशाासक और अनुभवी सांसद’’ बताया। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा, ‘‘पूर्व केंद्रीय मंत्री और मशहूर वकील राम जेठमलानी के निधन से हम दुखी हैं। उनके परिजनों से हमें संवेदना है।’’
1977 और 1980 में बने मुंबई से सांसद
जेठमलानी छठी और सातवीं लोकसभा में 1977 और 1980 में क्रमश: जनता पार्टी और भाजपा के टिकट पर मुंबई से सांसद बने। वह 2010 में भाजपा में लौटे और पार्टी के टिकट पर राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए। जेठमलानी को 2013 में ‘‘अनुशासन भंग करने’’ और ‘‘पार्टी विरोधी’’ भावनाओं के लिए भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से छह वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया था। बाद में उन्होंने निष्कासन के लिए भाजपा पर मुकदमा किया और 50 लाख रुपये का हर्जाना मांगा। अमित शाह द्वारा उन्हें निकाले जाने पर ‘‘दुख जताने’’ के बाद मामले को आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था।
सिंध के शिकारपुर में जन्मे थे जेठमलानी
सिंध प्रांत के शिकारपुर में 1923 में जन्मे जेठमलानी ने 17 वर्ष की उम्र में कानून की डिग्री हासिल की। वकील के तौर पर वह 1959 में तब प्रसिद्ध हुए जब के एम नानावती बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में अभियोजक थे जिसमें नौसेना के एक कमांडर पर उसकी पत्नी की हत्या के लिए मुकदमा चलाया गया था। उनके अन्य हाई प्रोफाइल मामलों में राजीव गांधी के हत्यारों का 2011 में मद्रास उच्च न्यायालय में बचाव करना, हर्षद मेहता और केतन पारेख का स्टॉक मार्केट घोटाला मामले में बचाव, 2001 में संसद हमला मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस ए आर गिलानी का बचाव करना और जेसिका लाल हत्या मामले में कांग्रेस के प्रभावशाली नेता के बेटे मनु शर्मा का प्रतिनिधित्व करना शामिल है।