नई दिल्ली: कश्मीर में आतंकवाद के सवाल पर देश के रक्षामंत्री अरुण जेटली का कहना है कि पाकिस्तान सीधे तौर पर भारत का मुकाबला नहीं कर सकता इसलिए वह कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। आजादी के बाद से कभी पाकिस्तान ने इस सच्चाई को स्वीकार नहीं किया कि कश्मीर भारत का हिस्सा है.. ये उनका Unfinished agenda रहा है। अरुण जेटली ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ इंडिया टीवी के मेगा कॉन्क्लेव ''वंदे मातरम्'' में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए ये बातें कही।
रक्षा मंत्री जेटली ने कहा कश्मीर में हमें आम आदमी के साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ना है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद कश्मीर में पत्थरबाजों की संख्या में भी कमी आई है। नोटबंदी से नक्सल और आतंकी गतिविधियों को बड़ी चोट पहुंची। नोटबंदी के बाद युवाओं को बरगलाने के लिए आतंकवादियों की क्षमता घटी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नोटबंदी के बाद कश्मीर में पत्थरबाजों की संख्या में भी कमी आई है और युवाओं को बरगलाने के लिए आतंकवादियों की क्षमता घटी है। आज लाइन ऑफ कंट्रोल और इंटरनेशनल बॉर्डर के ऊपर एक प्रकार से हमारी फोर्सेस का डोमिनेशन है और उसको पार करना आतंकवादियों के लिए काफी कठिन है।
अरुण जेटली ने कहा कि पिछले साल 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से घुसपैठ को रोकने की पूरी कोशिश की गई है। कश्मीर घाटी को आतंकवादियों से मुक्त करने का अभियान चल रहा है। पिछले कुछ दिनों में आतंकियों के कमांडर मारे गए हैं। घाटी में मौजूद आतंकवादियों पर सुरक्षाबल हावी हैं। चुनौती कठिन है, सरल नहीं है। यह देश की सुरक्षा और एकता के लिए बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतों की तरफ से यह एक कोशिश है कि देश को हेल्पलेस स्टेट बना दिया जाए। इतना ही नहीं आतंकियों के मारे जाने के बाद किसी न किसी तरह से आतंकवादियों का महिमामंडन करने की कोशिश भी की गई है।
अरुण जेटली ने कहा कि 2016 में जब एक बड़े आतंकवादी की हत्या हुई तो उस वक्त उन्होंने अपनी रणनीति फिर बदली और Stone throwing, mass civil disobedience आतंकवाद के साथ साथ जोड़ने का प्रयास किया। पाकिस्तान ने 1990 के आसपास अपनी रणनीति बदलनी शुरू की और वो रणनीति थी देश के भीतर आतंकवाद पैदा करने की और उस नीति को उन्होंने आगे बढ़ाया।