नई दिल्ली: हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए यह भी नियत होता है। लेकिन हमें अज्ञानता वश यह मालूम ही नहीं पड़ता कि क्या सही है और क्या गलत। वहीं किस काम को कतई नहीं करना चाहिए और क्यों नहीं करना चाहिए इसका भान भी हमें कभी-कभी नहीं हो पाता है। लेकिन अर्थशास्त्र और राजनीति के प्रकांड ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने इस मुद्दे पर भी अपने विचार सामने रखे थे। कूटनीति के मर्मज्ञ आचार्य चाणक्य का कहना था कि हमें किसी भी कार्य को करने से पहले सौ बार सोचना चाहिए और यह याद रखना चाहिए कि हम जो करने जा रहे हैं उसके क्या फायदे और दुष्परिणाम हो सकते हैं। आचार्य ने चुनिंदा ऐसे कामों के बारे में बताया है जिन्हें हमें भूल के भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनके करने से हमें हमेशा नुकसान ही होता है। जानिए आचार्य ने हमें किन कामों को न करने की सलाह दी है। आचार्य ने अपनी यह गूढ़ बात एक श्लोक के जरिए समझाने की कोशिश की है।
आत्पद्वेषाद् भवेन्मृत्यु: परद्वेषाद् धनक्षय:।
राजद्वेषाद् भवेन्नाशो ब्रह्मद्वेषाद कुलक्षय:।।
आचार्य ने इस श्लोक के जरिए लोगों को आगाह करने की कोशिश की है कि हमें ऐसे कार्यों से बचना चाहिए जिनके करने से हमारे ऊपर मृत्यु का संकट गहरा सकता है। जैसे कि-
किसी राजा या उसके प्रशासन के बैर न करें-
चाणक्य ने उचित सलाह देते हुए कहा कि हमें किसी भी राजा या उसके प्रशासन से बैर नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हमारे प्राण संकट में पड़ सकते हैं। क्योंकि राजा का विरोध करने का सीधा मतलब होता है कि आप सीधे सीधे मौत को दावत दे रह हैं, इसलिए ऐसा करने से हमें बचना चाहिए।
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