नई दिल्ली. दुनियाभर से माता वैष्णों देवी के भक्त हर साल उनके दर्शन करने के लिए जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले स्थित कटरा आते हैं। माता वैष्णों देवी का ये धाम न सिर्फ कटरा और बल्कि आसपास के इलाके की अर्थव्यवस्था का प्रमुख केंद्र बिंदु भी है। यहां आने वाले श्रद्धालु माता वैष्णों देवी के मंदिर में भी दिल खोलकर दान करते हैं। माता वैष्णों देवी के भक्त यहां आकर कितना दान करते हैं इस बात का खुलासा हुआ है एक RTI में।
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उत्तराखंड के कुमाऊं जिले के RTI एक्टिविस्ट हमेंत गौनिया द्वारा द्वारा प्राप्त की गई सूचना के अनुसार, माता वैष्णों देवी के मंदिर को पिछले 20 सालों में (साल 2000 से 2020 के बीच) 1800 किलो से ज्यादा सोना, 4700 किलो से ज्यादा चांदी मिली है। इसके अलावा श्रद्धालुओं द्वारा दान में 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मंदिर को पिछले 20 सालों में दान में दी गई है। इस बात की जानकारी अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में दी गई।
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RTI एक्टिविस्ट ने कहा, "मैं जानना चाहता था कि पिछले कुछ वर्षों से मंदिर को कितना दान मिला है। भले ही लाखों श्रद्धालु हर साल मंदिर जाते हैं, लेकिन मुझे नकद राशि के साथ-साथ सोने और चांदी के इतने ज्यादा मात्रा में दान की उम्मीद नहीं थी।
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बता दें कि वैष्णो देवी मंदिर सबसे प्रतिष्ठित हिंदू मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की देखरेख का काम कटरा के आसापास रहने वाले बारीदार लोग करते थे। ये लोग माता के भक्त थए। 1986 में श्राइन बोर्ड के गठन के बाद मंदिर के सभी कार्यों की जिम्मेदारी इनसे लेकर श्राइन बोर्ड के हवाले कर दी गई। तब से, बोर्ड मंदिर के मामलों का प्रबंधन कर रहा है।
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RTI के जवाब में इस बात की जानकारी भी मिली कि कोरोना महामारी का वैष्णों देवी मंदिर पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। श्राइन बोर्ड द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्षों से मंदिर में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ रही है। साल 2000 में इस मंदिर में दर्शन के लिए 50 लाख लोग आए थे, ये तादाद 2018 और 2019 में बढ़कर 80 लाख के आंकड़े के नजदीक पहुंच गई। हालांकि साल 2020 में सिर्फ 17 लाख लोग ही मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे, जो पिछले साल के मुकाबले 78 फीसदी कम है।
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साल 2011 और 2012 में सबसे ज्यादा श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आए। इन सालों में 1 करोड़ से ज्यादा यात्रियों ने माता वैष्णों देवी के दर्शन किए लेकिन कोरोना महामारी की वजह से कटरा के लिए 2020 साल बेहद बुरा साबित हुआ। गौनिया ने बताया कि महज 17 लाख लोगों द्वारा कटरा आने की वजह से स्थानीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई क्योंकि यहां का पूरा इलाका तकरीबन पर्यटन पर ही बेस्ड है।
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