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चमोली आपदा: तपोवन में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, टनल में 35 लोगों के फंसे होने की आशंका

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आए सैलाब से हुई भारी तबाही के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक 26 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं जबिक 180 लोग अब भी लापता हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 09, 2021 9:48 IST
चमोली आपदा: तपोवन में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, टनल में 35 लोगों के फंसे होने की आशंका - India TV Hindi
Image Source : PTI चमोली आपदा: तपोवन में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, टनल में 35 लोगों के फंसे होने की आशंका 

चमोली: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आए सैलाब से हुई भारी तबाही के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक 26 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं जबिक 180 लोग अब भी लापता हैं। तपोवन टनल में फंसे 35 मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए बड़ा ऑपरेशन जारी है। वहीं मुख्यमंत्री सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर हालात का जायजा लेंगे।

सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन एनटीपीसी के टनल में चल रहा है जहां 35 लोगों के तपोवन टनल में फंसे होने की आशंका जताई गई है। यहां ITBP,सेना, NDRF और SDRF की टीमें युद्ध स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई हैं। वहीं इंड़यन एयरफोर्स भी राहत के काम में लगी है। पूरे राहत और बचाव में सबसे ज्यादा फोकस तपोवन की उस टनल पर है जहां कई लोगों के जिंदा बचे होने की उम्मीद लगाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक सुंरग के भीतर 35 लोग फंसे हो सकते हैं। चूंकि टनल बड़ी है काफी मलबा इकट्ठा हो चुका है इसलिए टनल से मलबा हटाने का काम युद्धस्तर पर जारी है।

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श्रीनगर का इंजीनियर लापता 

 लापता लोगों में कश्मीर का एक इंजीनियर भी शामिल है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि बशरत अहमद जरगर श्रीनगर के सौरा इलाके के रहने वाले हैं और वे एक निजी कंपनी के सिविल इंजीनियर के तौर पर उत्तराखंड के ऋषि गंगा बिजली परियोजना में काम कर रहे थे। वह रविवार की सुबह इस त्रासदी के बाद से लापता हैं। उन्होंने बताया कि जरगर का अब भी पता नहीं चला है। जम्मू कश्मीर आपदा प्रबंधन निदेशक आमिर अली ने बताया, ‘‘हमने इस मुद्दे को उत्तराखंड सरकार के समक्ष उठाया है। हम वहां के आपदा प्रबंधन प्राधिकारियों के संपर्क में हैं। बचाव अभियान जारी है।’’ 

चमोली आपदा लाखों मीट्रिक टन बर्फ फिसलने से आई 
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसरो के वैज्ञानिकों के हवाले से कहा कि रविवार को चमोली जिले में आपदा हिमखंड टूटने के कारण नहीं बल्कि लाखों मीट्रिक टन बर्फ के एक साथ फिसलकर नीचे आने की वजह से आई। रैंणी क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा में अचानक आई बाढ के कारणों पर यहां सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अधिकारियों और इसरो के वैज्ञानिकों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री रावत ने कहा, ‘‘दो तीन दिन पहले वहां जो बर्फ गिरी थी, उसमें एक ट्रिगर प्वाइंट से लाखों मीट्रिक टन बर्फ एक साथ स्लाइड हुई और उसके कारण यह आपदा आई है।’’

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कोई हिमखंड नहीं टूटा: रावत
उन्होंने कहा कि वहां कोई हिमखंड नहीं टूटा है। रावत ने कहा कि इसरो की तस्वीरों में कोई ग्लेशियर नजर नहीं आ रहा है और पहाड़ साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि वैसे भी हादसे वाली जगह आपदाओं के प्रति संवेदनशील नहीं है। रावत ने कहा कि तस्वीरों में पहाड़ की चोटी पर कुछ दिखाई दे रहा है जो ट्रिगर प्वाइंट हो सकता है जहां से बड़ी मात्रा में बर्फ फिसलकर नीचे आई होगी और नदियों में बाढ आ गई। रविवार को मुख्यमंत्री रावत ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और सोमवार को वह फिर तपोवन क्षेत्र में पहुंचे। 

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