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चमोली आपदा: ऋषि गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से तपोवन टनल में रुका था रेस्क्यू ऑपरेशन, अब फिर शुरू

ऋषि गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह से चमोली के पास तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल रोक दिया गया था लेकिन अब ऑपरेशन को फिर से शुरू किया गया है

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: February 11, 2021 15:41 IST
चमोली आपदा: ऋषि गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन रुका- India TV Hindi
Image Source : PTI चमोली आपदा: ऋषि गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन रुका

नई दिल्ली: ऋषि गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह से चमोली के पास तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन कुछ समय के लिए रुकने के बाद अब फिर से शूरू कर दिया गया है।तपोवन टनल में फंसे 25 से 35 लोगों को ढूंढने में गाद के कारण बचाव अभियान में आ रही दिक्कतों के बावजूद राहत और बचाव का काम जारी था। लेकिन अचानक ऋषि गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन को रोकना पड़ा, लेकिन अब जलस्तर में कम हुआ है और ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया गया है। टनल के मुहाने से सभी वाहनों को एहतियातन हटा लिया गया था। 

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आपको बता दें कि सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीपी और एसडीआरएफ द्वारा लगातार चलाए जा रहे बचाव और तलाश अभियान में के तहत सुरंग में फंसे लोगों को ढूंढने के लिए रिमोट सेंसिंग से लेकर ड्रिलिंग तक हर तकनीक अपनाई जा रही है। बचाव अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि जिस सुरंग में लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया जा रहा है वह दरअसल कई सुरंगों का एक जाल है जिसमें कई सुरंगें या तो 90 डिग्री पर नीचे मुड़ती हैं या फिर कोण बनाकर दायें और बायें चली जाती हैं। 

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एसडीआरएफ की उपमहानिरीक्षक रिद्धिम अग्रवाल ने बताया, ‘‘सुरंग की जियो मैपिंग कराई गई थी जिससे हमें पता चल सके कि हमें क्या रणनीति अपनानी चाहिए। इसी क्रम में जियो मैपिंग के बाद ड्रिलिंग करने का फैसला लिया।’’ अग्रवाल ने बताया, ‘‘चूंकि हमारे पास समय कम है इसलिए हर उस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा जिससे सफलता मिलने की उम्मीद हो। हेलीकॉप्टर के जरिए रिमोट सेंसिंग से अंदर के फोटो लिए गए, जबकि ड्रोन से भी अंदर का जायजा लेने का प्रयास किया गया। हांलांकि, ड्रोन से कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई।’’ 

ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी जबकि बुरी तरह क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन—विष्णुगाड परियोजना की सुरंग में काम कर रहे लोग उसमें फंस गए।

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