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उत्तर प्रदेश: सोशल मीडिया की अफवाहों पर रहेगी पुलिस की नजर, आम लोगों को जोड़कर बनाई जाएगी डिजिटल आर्मी

ये लोग वायरल सूचनाओं, अफवाहों, फोटो और वीडियो को इलाके की पुलिस के साथ साझा करेंगे। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: July 22, 2018 18:18 IST
वाट्सऐप मैसेंजर।- India TV Hindi
वाट्सऐप मैसेंजर।

लखनऊ: सोशल मीडिया पर फोटो, वीडियो और अफवाहों के कारण होने वाली हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस अब आम जनता से जुड़े लोगों की 'डिजिटल आर्मी' तैयार करेगी। इसमें शिक्षक, पूर्व सैनिक, पूर्व पुलिसकर्मी, व्यापारी, चिकित्सक, वकील, पत्रकार सहित इलाके के प्रमुख व्यक्ति शामिल होंगे। पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह ने बताया कि प्रदेश के हर थाने में अलग-अलग वर्ग के 250 लोगों के व्हाट्सएप ग्रुप बनाए जाएंगे। ये लोग वायरल सूचनाओं, अफवाहों, फोटो और वीडियो को इलाके की पुलिस के साथ साझा करेंगे। 

उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी 1469 थानों में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से 250-250 डिजिटल स्वयंसेवी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक थाने का व्हाट्सएप ग्रुप जनपदीय व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ा रहेगा। सभी जनपदीय व्हाट्सएप ग्रुप पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय से जोड़े जायेंगे। सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में जहां एक ओर सोशल मीडिया द्वारा संचार क्रांति की शुरुआत हुई है, वहीं दूसरी ओर अराजक तत्व कानून व्यवस्था एवं सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने हेतु इस प्लेटफार्म का दुरुपयोग कर भ्रामक खबर, फोटो, वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। हाल में ही कुछ राज्यों में इन अफवाहों के आधार पर निर्दोष लोगों की हत्या भी हुई है। केन्द्र सरकार ने व्हाट्सएप ग्रुपों को इन अफवाहों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है। 

उत्तर प्रदेश पुलिस भी सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली अफवाहों को रोकने के लिये तत्पर है। डिजिटल स्वयंसेवी बनने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की वेबसाइट uppolice.gov.in पर उपलब्ध फॉर्म भरना होगा। आवेदन के बाद जिले के पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में जिला स्तर की कमेटी डिजिटल स्वयंसेवी चुनेगी। कमेटी चयन करते वक्त यह देखेगी कि स्वयंसेवी इलाके का प्रभावशाली व्यक्ति हो, उसकी छवि अच्छी हो और वह सोशल मीडिया का जानकार हो। हर गांव, मोहल्ला, कस्बा और वॉर्ड से कम से कम दो-दो स्वयंसेवी चुने जाएंगे।

इनका मुख्य कर्तव्य क्षेत्र में किसी भी प्रकार की अफवाह फैलने पर अपने क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप से एवं सोशल मीडिया द्वारा सही तथ्यों से जनसामान्य को अवगत कराते हुए, पुलिस का सहयोग करना होगा। सिंह के मुताबिक डिजिटल स्वयंसेवी के रूप में शिक्षक, प्रधानाचार्य, सेवानिवृत्त फौजी, पुलिसकर्मी, इलाके के पत्रकार, सामाजिक संगठन, पूर्व और वर्तमान सभासद, ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य, छात्र नेता, आशा बहू, ग्राम सचिव, एएनएम, डॉक्टर, कोटेदार, विशेष पुलिस अधिकारी, वकील, प्रमुख व्यापारी या व्यापारी नेता, धर्मगुरु, सिविल डिफेंस से जुड़े लोग, होमगार्ड को प्राथमिकता मिलेगी। इनके अलावा इलाके के सम्भ्रांत लोगों को भी पुलिस से जुड़ने का मौका मिलेगा। 

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