नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर कांड का मामला अभी शांत भी नहीं पड़ा है कि उत्तर प्रदेश के देवरिया कांड की गूंज देश भर में सुनाई देने लगी है। शर्मसार कर देने वाले इस कांड में बच्चियों ने बड़ा खुलासा किया है। जिस बच्ची ने पुलिस के सामने इस मामले का पर्दाफाश किया था, अब उसी लड़की ने इंडिया टीवी के सामने देवरिया के शेल्टर होम और इसे चलाने वालों के लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इनकी मानें तो शेल्टर होम की लड़कियों को बाहर भेजा जाता था, बड़े-बड़े लोग बड़ी-बड़ी गाड़ियों से लेने आते थे। इस मामले में कार्रवाई करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने देवरिया के डीएम को हटा दिया है। वहीं दो अधिकारी निलंबित कर दिए गए हैं।
दर्द के दरिया में डूबी ये कहानी उन बच्चियों की है, जो जिदंगी का सलीका सिख रहीं थीं। आज वही बच्ची दुनिया वालों से अपनी जिंदगी के मायने पूछ रही है। एक बच्ची रोते हुए बताती है, “सुबह लौटने पर कुछ नहीं कहती थी, बस रोती रहती थी। उनकी आंख सूज जाती था। पूछते थे, तो कुछ नहीं बताती थी।“ उसने ये भी बताया कि एक बड़ी मैम दीदी को बाहर ले जाती थी और नहीं जाने को कहती थी तो उसे बांध कर ले जाया जाता था। लौटने पर सुबह कुछ नहीं कहती थी, बस रोती रहती थी। उनकी आंख सूज जाती थी।
करीब एक साल से शेल्टर होम गैरकानूनी तरीके से चलाया जा रहा था लेकिन एसी कमरों से एक भी अफसर बाहर झांकने तक नहीं निकला और 10 साल की एक बेटी का हौसला देखिए जिसकी ज़ुबान खोलते ही सब एक पैर पर खड़े हो गए। हैरानी की बात है कि प्रशासन के मना करने के बाद भी शेल्टर होम चलता रहा और अफसर आंख-कान बंद करके बैठे रहे। बच्चियां उन अंधेरे कमरों में बंद दरवाज़ों के भीतर सिसकती रहीं।
शेल्टर होम से 42 लड़कियों में से 24 को छु़ड़ाया गया है। 18 लड़कियां अब भी गायब हैं। कहा जा रहा है कि एक की मौत हो गई है जबकि तीन लड़कियों को विदेशियों को बेच दिया गया है। शेल्टर होम की संचालिका, उसके पति और बेटे को पुलिस पकड़ तो चुकी है लेकिन सवाल सीधा है, अब तक पुलिस कहां सो रही थी।
बच्ची ने बताया कि शेल्टर होम की संचालिका गिरिजा त्रिपाठी, संचालक मोहन त्रिपाठी और शेल्टर होम की अधीक्षक कंचनलता, ये तीनों रात के अंधेरे में मजबूर और बेबस लड़कियों को अय्याशों के कारों में जबरन ठूस देते थे। जिस शेल्टर होम को ये तीनों चलाया करते थे वो एक साल से अवैध तरीके से चल रहा था। सरकार कहती है कि देवरिया के डीएम को एक साल के दौरान कई बार शेल्टर होम पर कार्रवाई करने को कहा गया, मगर कुछ नहीं हुआ।
अब राज्य के सभी डीएम से संबंधित जिले के शेल्टर होम की रिपोर्ट मांगी गई है। देवरिया मामले की जांच के लिए दो सदस्यी हाईलेवल कमेटी बनाई गई है और यहां के डीएम को हटा दिया गया है वहीं डीपीओ को सस्पेंड कर दिया गया है। लखनऊ से बाल विकास मंत्रालय की अधिकारी और सीनियर पुलिस अधिकारी की टीम मौके पर पहुंच कर जांच कर रही हैं। आज सीएम को इस मामले की रिपोर्ट सौंपनी है। देवरिया में जो हुआ है, वो बेहद शर्मनाक है क्योंकि इस शेल्टर हाउस में सिर्फ 10 से 18 साल तक की बच्चियां रहती थीं लेकिन उनके साथ कैसा सलूक किया जाता था ये अब दुनिया के सामने आ रही है।