नई दिल्ली: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ स्थित अपने बंगले शनिवार को खाली कर दिया। उत्तर प्रदेश के राज्य संपत्ति विभाग ने प्रदेश के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी बंगले खाली करने का नोटिस दिया था। बंगले को खाली करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया था। मायावती ने निर्धारित समयसीमा के भीतर ही बंगला खाली किया है। मायावती 13-ए माल एवेन्यू के जिस बंगले में रहती थी उसकी भव्यता देखने लायक है।
बंगला छोड़ते समय मायावती ने सभी पत्रकारों को बंगले के अंदर से रिपोर्टिंग करने के लिए आमंत्रित किया था। इस बंगले की अंदर की भव्यता ने सबको चौंका दिया। लाल चुनार पत्थरों वाली चमचमाती दीवारें, इटालियन मार्बल फ्लोरिंग, आकर्षक भित्ती चित्र, छतों से लटकते बेशकीमती दमकते झूमर। जिस सलीके से पूरे बंगले में लाइटिंग की गई है वो भी देखने लायक है। बेहद भव्य, आलीशान और बड़े से भूभाग पर बना हुआ ये बंगला किसी महल जैसा नजर आता है। राज्य संपत्ति विभाग के मुताबिक इसे बनाने में बसपा के कार्यकाल में करीब 113 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
मायावती ने पत्रकारों को पहली बार अंदर बुलाया तो ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां मीडिया के कैमरों को क्लिक न गूंज रही हो। इससे पहले तक इस बंगले को लेकर मीडिया में अफसरशाही की चर्चाओं या फिर यदाकदा बसपा नेता द्वारा गुपचुप जिक्र से ही बातें सामने आती थी।शायद यह पहला मौका रहा होगा जब इस बंगले के हर हिस्से तक मीडियाकर्मी पहुंचे। बंगले में स्थित कांशीराम के भव्य विश्राम कक्ष, लाइब्रेरी, मीटिंग हाल, रसोई व जलपान कक्ष, मीटिंग रूम, स्टोर, प्रतीक्षा कक्ष, सफाई तथा रखरखाव कर्मी कक्ष के साथ ही मायावती का अद्भुत विश्राम कक्ष, रसोई एवं भोजनालय कक्ष भी पहली बार मीडिया के माध्यम से बाहर लोगों तक पहुंचे। बंगल में कांशीराम की वसीयत के अनुसार ही उनकी एकमात्र उत्तराधिकारी के रूप में उनकी प्रतिमा भी साथ में लगी है।
पांच साल में बनकर हुआ था तैयार, 86 करोड़ रुपए सिर्फ सजाने मे लगे थे...
मीडिया में सामने आ रही जानकारी के अनुसार इस बंगले को सजाने के लिए मायावती ने 86 करोड़ रुपए खर्च किए थे। मायावती को 1995 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद लखनऊ में 13 मॉल एवेन्यू मिला था। इसे सजाने-संवारने का काम 2007 में शुरू हुआ, जब वह दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन अधिकतर काम उनके कार्यकाल खत्म होने तक पूरा हुआ था। इस बात का खुलासा समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव की एक आरटीआई से हुआ था।