Monday, November 25, 2024
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उत्तर प्रदेश: आदमखोर कुत्तों से दहशत में सीतापुर जिले के लोग, अब तक 12 बच्चे बने चुके हैं शिकार

अब तक 12 बच्चे इन कुत्तों का शिकार बनकर मौत की नींद सो चुके हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 06, 2018 17:13 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
Image Source : PTI चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किय गया है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीतापुर शहर में मानवभक्षी कुत्तों को लेकर दहशत में जी रहे हैं। शासन प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों को हर पल जान का खतरा सता रहा है। यह कुत्ते बागों, खेतों, सुनसान इलाकों और यहां तक कि आबादी के अंदर भी लोगों खासकर बच्चों को अपना निशाना बना रहे हैं। अब तक 12 बच्चे इन कुत्तों का शिकार बनकर मौत की नींद सो चुके हैं। पशु विज्ञानियों के मुताबिक, कुत्तों के व्यवहार में आयी इस अप्रत्याशित आक्रामकता का मुख्य कारण उन्हें उनका वह भोजन ना मिल पाना है, जिसके वे फितरतन आदी हैं। उनकी खाने सम्बन्धी आदत बदलना इतना आसान भी नहीं है।

भारतीय पशु विज्ञान संस्थान (आईवीआरआई) के निदेशक डॉक्टर आर. के. सिंह ने सीतापुर में कुत्तों के आदमखोर होने के कारणों के बारे में पूछे जाने पर बताया ‘पहले बूचड़खाने चलते थे, तो कुत्तों को जानवरों के बचे-खुचे अवशेष खाने को मिल जाया करते थे। बूचड़खाने बंद हो गए। जो लोग मांसाहार का सेवन करते हैं वे पशुओं की हड्डियां खुले में फेंकने से परहेज करते हैं। इन कारणों के चलते धीरे-धीरे कुत्तों के भोजन में कमी आ गयी, इसीलिये यह दिक्कत हो रही है।’ उन्होंने कहा कि मांस और हड्डियां खाना कुत्तों की आदत हो चुकी है। इसे बदलने में वक्त लगेगा। कुत्ते जब घर का बचा खाना पाने लगेंगे तो चीजें धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगी।

कुत्तों के अचानक इतने हिंसक हो जाने के कारण के बारे में सिंह ने बताया कि यह इसलिये हुआ है क्योंकि कुत्तों की जो खाने की आदत थी, उस हिसाब से उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा है। ‘मैंने अभी तक जितना अध्ययन किया है, तो कुत्तों में पहले इस तरह के व्यवहार सम्बन्धी बदलाव पहले नहीं देखे। ‘उन्होंने कहा कि इससे पहले कुत्तों के इस कदर आक्रामक होने की बात सामने नहीं आयी थी। हालांकि सीतापुर में हमलावर कुत्तों को आदमखोर कहना सही नहीं होगा। यह मुख्यतः ‘ह्यूमन एनीमल कॉन्फ्लिक्ट‘ का मामला है।

पशु चिकित्सक अनूप गौतम ने बताया कि मुख्यतः भोजन की कमी की वजह से ही कुत्तों में शिकार की प्रवृत्ति बढ़ी है। दूसरी बात यह भी कि खानाबदोश लोग आमतौर पर कुत्तों को जानवरों के शिकार के लिये पालते हैं। वह खुद भी मांसाहार खाते हैं और कुत्तों को भी मांस खिलाते हैं। अब उनके लिये भोजन की कमी हो गयी है। प्रबल आशंका है कि घुमंतू लोगों ने ही उन कुत्तों को छोड़ा हो। बहरहाल, सीतापुर में कुत्तों का आतंक चरम पर है। कल ही तालगांव थाना क्षेत्र में बकरियां चराने गये 10 साल के कासिम पर कुत्तों के झुंड ने हमला कर दिया और उसे नोंच डाला, जिससे उसकी मौत हो गयी।

पिछले एक हफ्ते के दौरान आदमखोर कुत्तों के हमलों में यह छठी मौत है।जिलाधिकारी शीतल वर्मा ने बताया कि पिछले नवम्बर से अब तक जिले में कुल 12 बच्चों को आदमखोर कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं। साथ ही छह अन्य बच्चों को गम्भीर रूप से घायल कर चुके हैं। आतंक का पर्याय बने इन कुत्तों को पकड़ने के लिये लखनऊ और दिल्ली नगर निगमों से मदद मांगी गयी है।उन्होंने बताया कि आदमखोर कुत्ते ग्रामीण क्षेत्रों और सुदूर इलाकों में बच्चों को अकेला पाकर उन पर हमला कर रहे हैं। कुत्तों की संख्या काफी अधिक होने और उनका कोई निश्चित ठिकाना न होने के कारण रोकथाम में कठिनाई महसूस की जा रही है।

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