उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के खतौली में कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस भीषण हादसे के पीछे घोर लापरवाही बताई जा रही है। ख़बरों के अनुसार जिस समय हादसा हुआ, रे 100 कि.मी. से भी ज़्यादा रफ़्तार से दौड़ रही थी हालंकि पटरी पर काम चल रहा था और यहा वजह है कि रेल पटरी उखड़ गई।
आपको बता दें कि शनिवार शाम हुए इस रेल हादसे में 21 लोगों की जान चली गई हैं जबकि 97 घायल हुए हैं। ग़ैर सरकारी सूत्र मृतकों की संख्या 24 बता रहे हैं। ट्रेन संख्या 18477 कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस पुरी से हरिद्वार की तरफ जा रही थी।
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- तस्वीरों में देखें उत्कल एक्सप्रेस रेल हादसा
दुर्घटना इतनी भयावह थी कि पटरी से उतरे 13 डब्बे एक-दूसरे पर चढ़ गए। एक डिब्बा तो पास के एक मकान में और दूसरा कॉलेज में घुस गया। शुरुआती जांच में सिस्टम की घोर लापरवाही सामने आई है। जिस पटरी से ट्रेन को गुजरना था, उस पर काम चल रहा था और जैसा कि होता ट्रेन को धीमी गति से गुजारने के आदेश दिए गए थे लेकिन सिग्नल गड़बड़ होने की वजह से ड्राइवर को इस बाबत सूचना नहीं मिली और नतीजतन ड्राइवर ने रेल की रफ़्तार कम नहीं की। जब पटरी उखड़ने लगी और डिब्बे उतरने लगे तब ड्राइवर इमरजेंसी ब्रेक भी नहीं लगा सका क्योंकि पूरा सिस्टम ऑटोमैटिक होता है। पटरी से ज्यादातर ट्रेन के बीच के डिब्बे उतरे। हादसे के समय जो लोग वहां जो काम कर रहे थे बाद में वो भी भाग गए।
पटरी से उतरने के बाद रेल के कई कोच एक दूसरे में घुस गए। कई डिब्बे एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए। इन डिब्बों में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए गैस कटर से डिब्बे काटे गए। वहीं डिब्बों को हटाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल किया गया। घटना के बाद मेरठ, अंबाला, सहारनपुर ट्रैक को बंद कर दिया गया है।