नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि फलों को पकाने के लिए कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग उपभोक्ता को जहर देने के समान है तथा दोषियों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को लागू करने से प्रतिरोधक असर पड़ेगा। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी और न्यायमूर्ति एजे भंबानी की पीठ ने कहा, ‘‘आमों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड जैसे रसायनों का इस्तेमाल किसी व्यक्ति को जहर देने जैसा है। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता क्यों नहीं लागू की जानी चाहिए?’’ पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे व्यक्तियों को जेल भेजें, भले ही दो दिनों के लिए और इसका प्रतिरोधक प्रभाव होगा।’’
पीठ फलों और सब्जियों पर कीटनाशकों के उपयोग की निगरानी के लिए अदालत द्वारा शुरू की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से पूछा कि क्या कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल अब भी आम जैसे फलों को पकाने के लिए किया जा रहा है? अदालत ने सहायता के लिए सुनवाई की अगली तारीख पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को उपस्थित रहने को कहा। अदालत ने कृषि मंत्रालय से सवाल किया कि क्या ऐसा कोई उपकरण (किट) मौजूद है जिससे उपभोक्ता खुद ही अपने घरों में कैल्शियम कार्बाइड की जांच कर सकें।
मंत्रालय ने कहा कि ऐसी कोई किट उपलब्ध नहीं है और कैल्शियम कार्बाइड की मौजूदगी की जांच केवल प्रयोगशालाओं में ही उचित उपकरणों और अतिरिक्त रसायनों की मदद से की जा सकती है। दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि वह राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न बाजारों से नमूने एकत्र कर रही है ताकि जांच की जा सके। सरकार ने कहा कि जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व उसके अतिरिक्त स्थायी वकील नौशाद अहमद खान ने किया। सरकार ने अदालत से कहा कि कुछ नमूनों की जांच की गयी और उनमें कोई रसायन नहीं मिला। अन्य नमूनों के संबंध में जांच परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है।