नयी दिल्ली: छत्तीसगढ़ में आज एक बख्तरबंद बारूदी सुरंग रोधी वाहन (MPV) पर माओवादियों द्वारा किये गये हमले में सीआरपीएफ के नौ जवानों की मौत के बाद इस वाहन के प्रयोग को बड़ी खामी के तौर पर देखा जा रहा है और उनके प्रयोग के औचित्य की जांच की जा रही है। सीआरपीएफ मुख्यालय ने यहां इस घटना की‘ कोर्ट आफ इंक्वायरी’ के आदेश दिये हैं। उधर, अर्द्धसैनिक बल तथा स्थानीय पुलिस के क्षेत्रीय कमांडरों से आईईडी हमले से जुड़े घटनाक्रम की सिलसिलेवार विस्तृत जानकारी देने को कहा गया है। इस हमले में एक आधुनिक बख्तरबंद वाहन के टुकड़े टुकड़े हो गये।
अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के किस्तराम और पलौदी के बीच पांच किलोमीटर निर्माणाधीन सड़क पर सुबह करीब आठ बजे करीब 120 से 150 माओवादियों के पहली बार देखे जाने के बाद क्षेत्र के सभी सुरक्षा बल शिविरों को एक स्थानीय अलर्ट जारी करके उनकी गतिविधि पर नजर रखने और शिविर की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया था।
आज सुबह सीआरपीएफ की विशेष टुकड़ी ने घात लगाकर हमले की साजिश विफल कर दी और एक नक्सल की संदिग्ध रूप से मारे जाने की खबर है। अधिकारियों ने कहा कि कुछ घंटे बाद मोटरसाइकिलों और एमपीवी का एक काफिला दिन में करीब साढे बारह बजे इलाके की जांच के लिए निकला। सूत्रों ने कहा कि हरे रंग के दो बख्तरबंद वाहन सीआरपीएफ जवानों के साथ किस्तराम सुरक्षा शिविर से गये और उनमें से एक वाहन घातक बारूदी सुरंग में फंस गया और जवानों की मौत हो गई।
दरअसल, मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, एमपीवी का प्रयोग केवल तब किया जा सकता है जब आवागमन वाला क्षेत्र बलों के‘‘ अच्छे नियंत्रण’’ में हो और बारूदी सुरंग एवं आईईडी विस्फोट का खतरा नहीं हो। सूत्रों ने कहा कि यह जांच का विषय है कि क्यों और कैसे एमपीवी का प्रयोग आज अभियान के दौरान हुआ।