नयी दिल्ली। अमेरिकी दवा कंपनी गिलीड साइंसेज ने अपनी वायरल रोधी दवा रेमडेसिविर को भारतीय बाजार में बेचने की अनुमति के लिए भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को आवेदन दिया है। इस दवा को कोविड-19 के उपचार में अहम बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार दवा का पेटेंट रखने वाली इस कंपनी ने रेमडेसिविर के लिए क्लीनिकल-पूर्व और क्लीनिकल अध्ययन के बारे में डेटा पूरा कर लिया है।
एक सूत्र ने कहा, 'कंपनी ने वायरल रोधी दवा रेमडेसिविर को भारतीय बाजार में बेचने की अनुमति के लिए भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को आवेदन दिया है। सीडीएससीओ विशेषज्ञ समिति की मदद से आवेदन का अध्ययन करेगा। वह विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर अंतिम निर्णय लेगा।'
अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए इस दवा को आपातकाल में उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान की है। सूत्रों ने बताया कि जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय ने अमेरिका के क्लीनिकल डेटा के आधार पर सात मई को विशेष परिस्थितियों के तहत इस दवा को नियामक मंजूरी दी थी। एक सूत्र ने कहा कि यूएसएफडीए या अन्य किसी प्रतिष्ठित नियामक की मंजूरियों के आधार पर भारतीय नियामक दवा को नए औषधि और क्लीनिकल परीक्षण नियम, 2019 के प्रावधानों के अनुरूप विशेष परिस्थितियों में क्लीनिकल ट्रायल से छूट देने के साथ स्वीकृति प्रदान कर सकता है।
अमेरिकी कंपनी ने आवेदन ऐसे समय में किया है जब दो भारतीय कंपनियों- सिप्ला और हीटीरो लैब्स ने भारत में रेमडेसिविर के उत्पादन और बिक्री की अनुमति के लिए दवा नियामक के पास आवेदन किया है। एक अधिकारी ने बताया कि इन कंपनियों ने रेमडेसिविर के लिए क्लीनिकल ट्रायल से छूट की मांग की है ताकि रोगियों के लिए तेजी से दवा उपलब्ध कराई जा सके। अधिकारी के अनुसार उनके आवेदन अभी विचाराधीन हैं। गिलीड साइंसेज इंक ने रेमडेसिविर के उत्पादन और वितरण के लिए तीन बड़ी घरेलू कंपनियों- सिप्ला, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज और हीटीरो समेत कुछ अन्य कंपनियों के साथ लाइसेंसिंग समझौता किया है।