नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तीन दिनों के दौरे पर आज भारत पहुंचे। उनके आने का उद्देश्य हिंद-प्रशांत सहित क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रमकता के मद्देनजर द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करना है। बाइडन प्रशासन के वरिष्ठ सदस्य के तौर पर उनकी यह पहली विदेश यात्रा है। यह पहला मौका है जब किसी अमेरिकी रक्षा मंत्री की प्रथम विदेश यात्रा में भारत को शामिल किया गया है। पेंटागन ने कहा, ‘‘ऑस्टिन अंतरराष्ट्रीय रक्षा संबंध के महत्व पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष मंत्री (राजनाथ सिंह) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। वह स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता भी दोहराएंगे।’’
उनकी इस यात्रा को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन के अपने करीबी सहयोगियों और क्षेत्र में साझेदारों के साथ मजबूत प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है। ऑस्टिन अपने दौरे की शुरुआत कल सुबह 9:45 बजे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण कर करेंगे। उसके बाद सुबह 10:30 बजे विज्ञान भवन में उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, 11 बजे राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय बैठक और दोपहर में प्रेस वार्ता।
उनकी यात्रा की तैयारियों और एजेंडा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को और प्रगाढ़ करने के तरीकों, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार, आतंकवाद से पैदा हुई चुनौतियां और अफगान शांति वार्ता पर जोर रहने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक (अनुमानित) लागत से अमेरिका से करीब 30 ‘मल्टी-मिशन’ सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। ये ड्रोन सेना के तीनों अंगों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के लिए खरीदने की योजना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से शुक्रवार शाम ऑस्टिन के मुलाकात करने की उम्मीद है। ऑस्टिन शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ व्यापक वार्ता करेंगे। अमेरिकी रक्षा मंत्री के विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मिलने की संभावना है। क्वाड समूह के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना सहयोग विस्तारित करने का संकल्प लेने के कुछ दिनों बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री की भारत की यात्रा हो रही है। चार देशों के इस समूह में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने भारत पहुंचने से पहले जापान और दक्षिण कोरिया का दौरा किया।
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