लखनऊ: लाल खून का काला करोबार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। ये लोग प्रोफेशनल ब्लड डोनर्स से और ड्रग एडिक्ट्स से ब्लड लेते थे और उसमें पानी और कैमिकल मिलाकर मरीजों को बेच देते थे। यह लखनऊ में पकड़ा गया है लेकिन इस तरह का काला कारोबार पूरे देश में चल रहा है। ये लोग मरीजों की सेहत और जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे थे। थोड़े से पैसे कमाने के लिए किसी की जिंदगी को खतरे में डाल रहे थे। लेकिन ये गिरोह आज यूपी एसटीएफ की गिरफ्त में आ गया।
एसटीएफ ने पांच लोगों को अरेस्ट किया है...ये लोग घर में पैसे का लालच देकर ड्रग एडिक्ट्स का खून निकाल लेते थे फिर आधा खून और आधा पानी मिला कर एक यूनिट ब्लड को दो यूनिट बना देते थे। इसके बाद बिना किसी टेस्ट कराए गिरोह के लोग मिलावटी खून को पैक कर देते थे। किसी को शक न हो...इसके लिए पैकड पर ब्लड बैंक का लेबल लगा देते थे....और फिर ये मिलावटी खून हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को बेच दिया जाता था। स्पेशल टास्क फोर्स का कहना है कि मिलावटी खून का सौदा करने वाले ये लोग ज्यादातर सलाइन वॉटर यूज करके एक यूनिट को दो यूनिट ब्लड का बनाकर आसपास के नर्सिंग होम दूसरे छोटे बडे क्लीनिक्स के साथ कुछ प्राइवेट अस्पतालों में भी बेच रहे थे। पुलिस का कहना है कि इस मिलावटी खून से ये लोग...2000 रुपए से लेकर 3000 रुपए प्रति यूनिट के रेट पर बेच रहे थे।
पुलिस का दावा है कि इस पूरे गैंग का मास्टरमाइंड नसीम नाम का शख्स है...लखनऊ के सीतापुर रोड इलाके में रहनेवाला नसीम अपने घर से ही नकली ब्लड बैंक को ऑपरेट कर रहा था। इस पूरे गोरखधंधे में नसीम का साथ ..कुछ लैब टेक्नीशियंस भी दे रहे थे....पुलिस के मुताबिक पकडा गया दूसरा आरोपी राघवेंद्र प्रताप सिंह एक ब्लड बैंक में टेक्नीशियन का काम करता था। यही शख्स ब्ल्ड बैंक की अवैध तरीके से सप्लाई करता था। पेशेंट्स यानी ब्लड डोनर का इंतजाम लखनऊ का ही रहनेवाला राशिद नाम का शख्स करता था।
इस गिरोह में पंकज त्रिपाठी का एक आरोपी ऐसा भी है जो ब्लड बैंक से प्रोफेशनल डोनर का ब्लड निकालकर नसीम को सप्लाई करता था। पंकज उसी ब्लड बैंक में लैब अटेंडेंट था जहां इस गिरोह का दूसरा आरोपी राघवेंद्र काम करता था। लखनऊ के निशांतगंज का रहनेवाला एक और आरोपी हनी उर्फ रजनीश निगम भी इस गैंग का मेंबर था। रजनीश ब्लड बैंकों के जाली स्टीकर...और दूसरा पेपर वर्क करता था...ये भी ब्ल़ड निकालने के साथ ब्लड डोनर्स का इंतजाम करता था।