नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने चिकित्सा के क्षेत्र में नीक-हकीम के कारोबार को लेकर शुक्रवार को चिंता जाहिर की और कहा कि वे लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने नीम-हकीम की दवाई से समाज को खतरा बताया। न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतानागौदर की पीठ ने कहा, "भारी तादाद में अयोग्य, अप्रशिक्षित नीम-हकीम संपूर्ण समाज के लिए भारी खतरा पैदा कर रहे हैं और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।"
पीठ ने कहा, "बगैर मान्यता और स्वीकृत योग्यता वाले लोग जिन्हें देसी दवाओं के बारे में अल्प ज्ञान हैं वे चिकित्सा क्षेत्र में पेशेवर बन रहे हैं और हजारों व लाखों लोगों की जान के साथ खेल रहे हैं। कभी-कभी नीम-हकीम बड़ी गलती कर बैठते हैं और कीमती जिंदगी चली जाती है।" न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी अल्प ज्ञान और बिना मान्यता व स्वीकृत योग्यता वाले लोग चिकित्सा की पेशा में बने हुए हैं। शीर्ष अदालत ने केरल आयुर्वेद परंपरा वैद्य मंच की याचिका को खारिज कर दिया। मंच ने 2003 के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।