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उत्तराखंड: इस आईपीएस अधिकारी ने नशे के खिलाफ छेड़ा अभियान, नशा कारोबारियों में मचाई खलबली

पुलिसिया सिस्टम को पटरी पर लाने के बाद उन्होंने नशे के खिलाफ अपना अभियान चलाया। उनका मानना है कि जिले में संगीन अपराध पनपने की असली वजह नशा है। 

Written by: Nahid Khan
Published on: August 04, 2018 20:26 IST
IPS Dr Sadanand Date- India TV Hindi
IPS Dr Sadanand Date

ऊधमसिंह नगर : फिल्मों में तो आप ने खाकी वर्दीधारी बहुत से हीरो देखे होंगे। लेकिन आज हम आईपीएस अधिकारी डा० सदानंद दाते की बात कर रहे हैं जो अपनी बेदाग और ईमानदार छवि के लिए जाने जाते हैं। नशे के खिलाफ अभियान चलाकर वे खासे चर्चित रहे हैं। चर्चित एनएच-74 भूमि मुआवज़ा घोटाले की जांच में आधा दर्जन से ज़्यादा पीसीएस अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने और दो आईएएस अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने में उन्होंने कोई नरमी नहीं बरती। वर्तमान में डा० सदानंद दाते ऊधम सिंह नगर जिले के एसएसपी के पद पर कार्यरत हैं, उनकी ईमानदार छवि का इनाम भी उन्हें बहुत जल्द मिलने वाला है और वो उत्तराखंड से प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली सीबीआई में जाने वाले हैं। 

ऊधम सिंह नगर जिले में जब उन्होंने एसएसपी का कार्यभार सम्भाला तो उनके सामने कई तरह की चुनौतियां थी। पुलिसिया सिस्टम को पटरी पर लाने के बाद उन्होंने नशे के खिलाफ अपना अभियान चलाया। उनका मानना है कि जिले में संगीन अपराध पनपने की असली वजह नशा है। जिस तेज़ी से युवाओं के बीच नशा अपनी जड़ें जमा रहा है। यदि इसे नहीं रोका गया तो नई पीढ़ी का भविष्य चौपट हो जायेगा। उन्होंने जिले भर में नशे के खिलाफ मुहिम चला कर छापेमारी की और दर्जनों शराब की अवैध पनपती भट्टियों को नष्ट कराया। साथ ही दूसरे खतरनाक मेडिकल नशे और हेरोइन गांजा चरस के कारोबारियों को जेल के सीखचों के भीतर पहुंचवाया। जिससे नशा कारोबारियों में खलबली मच गई। उनका नशे के खिलाफ यह अभियान अब भी चल रहा है। 

अगर हम तीन साल के जिले के तुलनात्मक आंकड़ों पर नज़र डालें तो वर्ष 2016 में एनडीपीडीएस के 16 मामले, वर्ष 2017 में 64 जबकि वर्ष 2018 में 119 लोगो के विरुद्ध कार्रवाई की गई। इसी तरह अवैध शराब के वर्ष 2016 में 372 मामले, वर्ष 2017 में 652 मामले दर्ज हुए। वहीं शराब के खिलाफ 2018 में सबसे ज़्यादा 802 मामले दर्ज किये गये। स्कूली बच्चों के बीच नशे को लेकर कार्यशालाएं, नुक्कड़ नाटक जागरूकता अभियान चलाया। स्कूल के पास नशे की दुकानों के खिलाफ कार्यवाही कर नशा मुक्ति की दिशा में उनकी पहल के बेहतर नतीजे आना शुरू हो गए हैं। 

डा० सदानंद दाते मूल रूप से महाराष्ट्र के नासिक जिले के रहने वाले हैं। वर्ष 2003 में ग्रान्ट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की।  लेकिन उनके भीतर आईपीएस बनने का ज़ज़्बा था। वर्ष 2007 में उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में हो गया। ट्रेनिंग के बाद उनकी नियुक्ति एसपी उतरकाशी में हुई। 

डा० सदानंद दाते ने 'इण्डिया टीवी खबर डॉट कॉम' से बात करते हुए कहा कि सब बुराइयों की जड़ में नशा है। लेकिन परिवार के लोग अपने बच्चों पर निगाह नहीं रख पाते है। जिससे बच्चा गलत नशेबाजों के चंगुल में फंस कर अपनी ज़िन्दगी तबाह कर बैठता है, हम सब को नशे के खिलाफ मुहीम चलाकर समाज को नशे के दलदल से निकालना होगा। जिससे हमारे बच्चों का भविष्य सुनहरा बन सके। उनका कहना है कि नशे के खिलाफ उनकी यह मुहिम चलती रहेगी। सारे अपराध में नशा सबसे घातक है। इसी के कारण बहुत से अपराध कारित होते है। अब वक़्त आ गया है कि हम सब मिलकर नशे के खिलाफ माहौल बनाये और जागरूकता पैदा करें। 

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