नई दिल्ली: पड़ोसी देश चीन ने कश्मीर को लेकर बड़ी चालबाजी की है। चीन की मांग पर कश्मीर का मसला एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहुंच गया है। आज सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर सदस्य देशों की अनौपचारिक बैठक होने वाली है। हालांकि अब तक इस मुद्दे पर दुनिया भर के देशों की जो राय रही है उससे यही लगता है कि दुनिया भर में फजीहत कराने के बाद पाकिस्तान अब संयुक्त राष्ट्र में भी अपनी फजीहत कराने वाला है। चीन की चालबाजी के कारण कश्मीर का मसला पचास साल बाद एक बार फिर से दुनिया के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुंच गया है।
दो दिन पहले ही पाकिस्तान की तरफ से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद को चिट्ठी लिखी गई थी जिसमें आपात स्तर पर एक बैठक बुलाने की मांग की गई थी जिस पर सुरक्षा परिषद ने 16 अगस्त को बैठक बुलाई है। कश्मीर कमेटी के चेयरमैन फख्र इमाम का कहना है कि कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में पचास साल बाद बैठक हो रही है, जो पाकिस्तान की कूटनीतिक कामयाबी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज भारतीय समय के मुताबिक शाम 7.30 बजे कश्मीर मुद्दे पर बंद कमरे में बैठक करने जा रही है।
बता दें कि कश्मीर मामले पर बैठक को बुलाने में चीन ने बड़ी चाल चली है। मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बताया था कि उन्होंने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को कश्मीर मसले पर आपात बैठक बुलाने के लिए चिट्ठी लिखी है और अब ख़बर आई है कि पाकिस्तान के सबसे बड़े दोस्त चीन ने भी उसकी मिन्नत मानते हुए न सिर्फ सुरक्षा परिषद से बैठक बुलाने की मांग की बल्कि चीन की तरफ से आधिकारिक तौर पर सुरक्षा परिषद के इस महीने के अध्यक्ष पोलैंड को एक खत भी लिखा गया है।
इस मुद्दे को 1971 के बाद कभी इस अंदाज में उठाया नहीं गया था। पहली बार इस बैठक के बुलाने से दो चीजें हो गईं। एक, कश्मीर का मसला, जिसको भारत कई दशकों से दबा रखा था, वो दोबारा अंतर्राष्ट्रीय हो गया है और ये पाकिस्तान की बहुत बड़ी कामयाबी है और दूसरा इसमें भारत का कहना ये था कि ये हमारा अंदरूनी मामला है, तो पाकिस्तान क्यों चिल्ला रहा है, लेकिन अब जब ये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बहस के लिए आएगा तो ये अंदरूनी मामला नहीं रहा, ये अंतर्राष्ट्रीय मामला हो गया है।
अब जब सुरक्षा परिषद में कश्मीर मसले पर मीटिंग होने वाली है तो पाकिस्तान इसे अपनी कूटनीतिक जीत बता रहा है। उसे यूएनएससी की क्लोज डोर बैठक से उम्मीद की किरण दिख रही है लेकिन सच तो ये है कि अब तक जिस तरह से इस मामले पर पूरी दुनिया का रेस्पॉन्स भारत के हक में रहा है उससे लगता है कि पाकिस्तान को इस बार भी मुंह की खानी पड़ेगी। राजनयिकों ने बताया कि शुक्रवार को होने वाली चर्चा को सुरक्षा परिषद की पूर्ण बैठक नहीं माना जा रहा है। इसे बंद कमरे में होने वाली बैठक कहा जा रहा है जो अब बहुत सामान्य होता जा रहा है।