नई दिल्ली: उन्नाव रेप केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा पर फैसले को टाल दिया गया है। अब 20 दिसंबर को सजा पर फिर बहस होगी। कोर्ट ने भाजपा के पूर्व विधायक सेंगर द्वारा 2017 के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग के समक्ष दाखिल हलफनामे की प्रति भी मांगी है। मंगलवार को सजा पर बहस के दौरान सीबीआई ने सेंगर को अधिकतम सजा दिए जाने की मांग की। बता दें कि बीजेपी ने यूपी के बांगरमऊ से 4 बार के विधायक सेंगर को अगस्त 2019 में पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट के तहत कुलदीप सिंह को नाबालिग का अपहरण और रेप का दोषी माना है। इस अपराध के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने हालांकि सह-आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया। पॉक्सो अधिनियम के तहत सेंगर (53) को दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित किया कि पीड़िता नाबालिग थी और इस विशेष कानून के तहत चलाया गया मुकदमा सही था।
न्यायाधीश ने फैसला पढ़ते हुए कहा, “मैंने उसके बयान को सच्चा और बेदाग पाया कि उस पर यौन हमला हुआ। उस पर खतरा था, वो चिंतित थी। वह गांव की लड़की है, महानगरीय शिक्षित इलाके की नहीं। सेंगर एक शक्तिशाली व्यक्ति था। इसलिये उसने अपना वक्त लिया।” न्यायाधीश ने जब फैसला सुनाना शुरू किया तो सह-आरोपी सिंह बेहोश हो गया।
अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखे जाने के बाद उसके परिवार वालों के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज किये गए और उन पर सेंगर की छाप थी।
अदालत ने दुष्कर्म के मामले में सीबीआई द्वारा आरोप पत्र दायर करने में की गई देरी पर भी हैरानी जताई और कहा कि इससे सेंगर और अन्य के खिलाफ मुकदमा लंबा चला। अदालत ने आरोप पत्र दायर करने में देरी के साथ ही जांच में महिला अधिकारी की गैर मौजूदगी के लिये भी उसे आड़े हाथों लिया। अदालत ने इस बात पर भी नाखुशी जाहिर की कि पीड़िता के बयान से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को चुनिंदा तरीके से लीक किया गया ताकि उसके मामले को दबाया जा सके।