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Budget 2021: दिसंबर 2021 में लॉन्च होगा गगनयान का मानव रहित मिशन, बजट 2021 में हुई घोषणा

आम बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जमीन से लेकर आसमान तक का जिक्र किया। मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन का मानव रहित पहला लॉन्च इसी साल दिसंबर 2021 में होगा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : February 01, 2021 22:46 IST
Nirmala Sitharaman says Unmanned Gaganyaan Launch In December 2021 Budget latest news
Image Source : PTI/FILE PHOTO Nirmala Sitharaman says Unmanned Gaganyaan Launch In December 2021 Budget latest news

नई दिल्ली। आम बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जमीन से लेकर आसमान तक का जिक्र किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि मानव रहित गगनयान अभियान दिसंबर 2021 में प्रक्षेपित किया जाएगा। इससे पहले इस अभियान को दिसंबर 2020 में शुरू किया जाना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण टाल दिया गया था। बजट भाषण में सीतारमण ने कहा कि भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के तहत चार अंतरिक्ष यात्री रूस में प्रशिक्षण ले रहे हैं। 

सीतारमण ने कहा, “प्रथम मानव रहित लांच दिसंबर 2021 में किया जाएगा।” दस हजार करोड़ रुपये के गगनयान अभियान का लक्ष्य 2022 तक तीन सदस्यीय दल को पांच से सात दिन के लिए अंतरिक्ष में भेजना है, जिस वर्ष भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। इसरो ने इसके लिए तैयारी करना शुरू कर दिया था। पहला मानव रहित यान दिसंबर 2020 में प्रक्षेपित किया जाना था और दूसरा यान जून 2021 छोड़ा जाना था। परियोजना के तहत छह महीने बाद दिसंबर 2021 में गगनयान का मानव अभियान शुरू होना था।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी हैशटैग आत्मनिर्भर भारत का बजट के साथ ट्वीट करते हुए गगनयान मिशन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। शाह ने अपने ट्वीट में कहा कि 'गत 6वर्षों में प्रधानमंत्री @narendramodi जी के नेतृत्व में भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी में अनेकों कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दिसंबर 2021 में देश का पहला मानवरहित उपग्रह- मानव रहित गगनयान मिशन शुरू होगा।'

बजट 2021 भाषण के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने गगनयान और पीएसएलवी सी 51 की तैयारियों के बारे में बताया। गगनयान मिशन के लिए बजट में अंतरिक्ष विभाग को 13,949 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिसमें से 8,228 करोड़ रुपये पूंजी व्यय के लिए चिह्नत किये गये हैं। अंतरिक्ष विभाग के तहत नवगठित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के लिए 700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। उन्होंने कहा कि चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण रूस में चल रहा है।  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को अपने बजट भाषण में कहा, ''अंतरिक्ष विभाग के तहत आने वाला पीएसयू न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड, पीएसएलवी-सीएस51 का प्रक्षेपण करेगा जो ब्राजील के अमेजोनिया उपग्रह को और कुछ छोटे भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा।'' अंतरिक्ष विभाग को 2021-22 के बजट में 13,949.09 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिसमें से 8,228.63 करोड़ रुपये पूंजी व्यय के लिए आवंटित किये गये हैं। यह आवंटन 2019-20 के आवंटन से करीब 900 करोड़ रुपये ज्यादा और वित्त वर्ष 2020-21 के आवंटन से करीब 4,449 करोड़ रुपये अधिक है। पिछले साल अंतरिक्ष विभाग के लिए 13,479.47 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर 9,500 करोड़ रुपये कर दिया गया। 2019-20 में विभाग को 13,017.61 करोड़ रुपये आवंटित किये गये। 

पूरी तरह स्वदेशी होगा गगनयान अभियान 

गगनयान भारत का पहला ऐसा अभियान होगा जो स्वदेशी प्रयासों से अंतरिक्ष में तीन भारतीय यात्रियों को पहुंचाएगा। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा ने साल 1984 में रूसी अंतरिक्ष यान सुयोज टी-11 से अंतरिक्ष में यात्रा की थी। इसके बाद से गगनायान में तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रा करेंगे, लेकिन यह इसरो का पूरी तरह से अपना अभियान होगा।

15 अगस्त 2018 को पीएम मोदी ने की थी घोषणा 

बता दें कि, 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में इस मानव रहित अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर 2022 तक तीन सदस्यीय दल को पांच से सात दिन की अवधि के लिए अंतरिक्ष में भेजना है।

गगनयान के लिए इस्तेमाल होगी हरित ऊर्जा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने हाल ही में यह कहा था कि इसरो अपने महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए हरित ऊर्जा (प्रणोदक) बना रहा है। इसका इस्तेमाल रॉकेट के हर चरण में किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि देश को हरित तकनीक अपनाकर पर्यावरणीय नुकसान को सीमित करने की जरूरत बढ़ गई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम शानदार विफलताओं की नींव पर बना है और हर विफलता के कारण हमारी प्रणाली में सुधार हुआ है।

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