दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के मुख्यालय मरकज में एक धार्मिक आयोजन में शामिल लोगों के जमावड़े की घटना को लेकर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का बयान सामने आया है। नक़वी ने कहा कि 'ये शुद्ध रूप से तबलीगी ज़मात का तालिबानी जुर्म है। इस तरह की आपराधिक कृति को किसी भी तरह से ना तो नज़रअंदाज किया जा सकता है ना ही माफ किया जा सकता है। ये एक अपराधिक लापरवाही है, जानबूझकर इस तरह की चीज़ों को किया गया है।'
बता दें कि, दक्षिण दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन से तब्लीगी मरकज में आए 24 लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट पर है। नक़वी ने आगे कहा कि 'उन्होंने कई लोगों की जान खतरे में डाल दी है। साथ ही कहा कि ऐसे लोगों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए, जो सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करते।'
बीजेपी प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने निजामुद्दीन मरकज मामले में कहा कि 'मरकज में जितने भी लोग रोके थे उन्हेंPMकी बात को गंभीरता से लेना चाहिए था, अभी भी जो लोग मरकज़ में थे उन में से बहुत से लोगों को क्वारंटाइन किया गया और बहुत से लोग पॉजिटिव पाए गए। जो लोग पिछले कुछ दिनों में मरकज़ आए या गए हो,उन्हें तुरंत प्रशासन को सूचना देना चाहिए।
लॉकडाउन के बाद भी जुटे लोग
तब्लीगी मरकज में पूरे साल लोग आते रहते हैं। 12 से 15 मार्च के बीच यहां हुए कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सैकड़ों लोग देश के विभिन्न राज्यों में गए। इसके बाद भी आने वालों का क्रम जारी रहा। इसी बीच 22 मार्च को हुए लॉकडाउन के बाद भी यहां सैकड़ों लोग जुटे हुए थे, इनमें सैकड़ों विदेशी भी थे। रविवार व सोमवार को यहां रुके 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जमात में शामिल तेलंगाना निवासी 6 लोगों की सोमवार को कोरोना से मौत भी हो गई थी।
जानिए क्या है तब्लीगी जमात
तब्लीगी जमात सुन्नी मुसलमानों का एक ऐसा संगठन है जो चाहता है कि दुनिया भर के मुसलमान वैसे ही रहें जैसे कि वे पैगंबर साहेब के समय में रहते थे। यानी उनका खानपान, वेशभूषा और रीति-रिवाज सब कुछ उसी समय का हो। माना जाता है कि इस जमात के दुनिया भर में 20 करोड़ सदस्य हैं। 1927 में स्थापित इस संगठन का मजबूत गढ़ दक्षिण एशिया है, लेकिन करीब सौ से ज्यादा देशों में इसकी पहुंच बताई जाती है। इसकी स्थापना भारत के मेवात में मुहम्मद इल्यास अल कंधालवी ने की थी। तब्लीगी जमात के छह सिद्धांत हैं। कलमा, सलाह, इल्म ओ जिक्र, इकराम ओ मुस्लिम, इखलास ए नीयत और दावत ओ तब्लीगी। इसका मुख्यालय निजामुद्दीन क्षेत्र में है। इससे देश-विदेश के लोग जुड़े हैं। जमात के मुताबिक वह किसी सियासी विचारधारा का समर्थन नहीं करती क्योंकि उसका उद्देश्य धार्मिक है। यानी कुरान व हदीस की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार।