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एनआरसी से आसू नाराज, उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा

ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन (आसू) शनिवार को जारी अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से बाहर रखे गये नामों के आंकड़े से खुश नहीं है और इसमें सुधार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करने का निर्णय किया है। 

Reported by: Bhasha
Published on: August 31, 2019 17:54 IST
NRC- India TV Hindi
Image Source : PTI एनआरसी से आसू नाराज, उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा

गुवाहाटी। ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन (आसू) शनिवार को जारी अंतिम राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से बाहर रखे गये नामों के आंकड़े से खुश नहीं है और इसमें सुधार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख करने का निर्णय किया है। वर्ष में 1985 में हुए असम समझौते में आसू एक पक्षकार है जिसमें असम में रह रहे अवैध विदेशियों को पहचानने, हटाने और निकालने का प्रावधान है।

एनआरसी अपूर्ण है - ल्यूरिनज्योति गोगोई

असम में एनआरसी को अद्यतन करने का काम उच्चम न्यायालय की देखरेख में किया जा रहा है ताकि केवल वास्तविक भारतीयों को ही शामिल किया जाए। आसू के महासचिव ल्यूरिनज्योति गोगोई ने कहा, ‘‘हम इससे बिल्कुल खुश नहीं हैं। ऐसा लगता है कि अद्यतन प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं। हम मानते हैं कि एनआरसी अपूर्ण है। हम एनआरसी की खामियों को दूर करने के लिए उच्चतम न्यायालय से अपील करेंगे।’’

गोगोई ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अंतिम आंकड़े कई मौकों पर प्रशासन की ओर से घोषित आंकड़ों से मेल नहीं खाते। शनिवार को अंतिम एनआरसी को ऑनलाइन जारी किया गया। इससे 19,06,657 आवेदकों के नाम बाहर हैं। पिछले साल 30 जून को जारी एनआरसी के पूर्ण मसौदे में 40 लाख लोगों के नाम बाहर थे। इस साल जून में और 1,02,462 लोगों के नाम बाहर कर दिए गए थे।

सरकार के पास अवैध अप्रवासियों का पता लगाने की पर्याप्त गुंजाइश थी - दीपांकर कुमार नाथ

आसू के अध्यक्ष दीपांकर कुमार नाथ ने दावा किया कि केंद्र और राज्य सरकार के पास अवैध अप्रवासियों का पता लगाने की पर्याप्त गुंजाइश थी लेकिन वह अपनी निष्क्रियता की वजह से असफल रही। नाथ ने दावा करते हुए कहा,‘‘ हमने एनआरसी में नाम दर्ज कराने के लिए केवल 10 दस्तावेजों को ही वैध मानने की मांग की थी लेकिन सरकार ने 15 दस्तावेजों की अनुमति दी। सरकार ने एनआरसी प्रक्रिया में शामिल संदिग्ध अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियों को लेकर भी आपत्ति नहीं जताई जिससे उन्हें प्रक्रिया से बाहर किया जा सकता था।’’

आसू अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और उसकी सीमा पुलिस ने संदिग्ध अवैध प्रवासियों के मामलों को विदेशी अधिकरण को नहीं भेजा और प्रशासन एनआरसी की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों का तबादला करता रहा। उन्होंने कहा, ‘‘असम और केंद्र सरकार त्रृटिमुक्त एनआरसी बनाने में असफल रही और इस तरह उसने एक ऐतिहासिक मौका खो दिया।’’ आसू के प्रमुख सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि संगठन उपचारी उपाय के लिए उच्चतम न्यायलय का रुख करेगा और वह इस एनआरसी की खामियों को दूर करने पर फैसला करेगा। उन्होंने कहा कि एनआरसी पर भविष्य का काम भी शीर्ष अदालत की निगरानी में होनी चाहिए।

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