नई दिल्ली: पुश्त दर पुश्त असम में रहते हुए लाखों लोग एक किताब में अपना नाम खोज रहे हैं। बाप का नाम है तो बेटे का नहीं। पांच भाईयों के नाम हैं तो छठे का गायब है। किसी के मां-बाप का है तो बेटी का नहीं है। वहीं असम के एनआरसी ड्राफ्ट में 40 लाख घुसपैठियों को लेकर संसद के दोनों सदनों में जमकर संग्राम हुआ। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा में इस पर बयान दिया तो इतना हंगामा हुआ कि कार्यवाही रोकनी पड़ गई। इसके बाद टीएमसी की अगुवाई में कई पार्टियों के सांसदों ने संसद के बाहर प्रदर्शन भी किया। वहीं संसद के बाहर बीजेपी के अश्विनी चौबे और टीएमसी सांसद प्रदीप भट्टाचार्य भिड़ गए। (असम NRC की लिस्ट में अपका नाम है या नहीं ऐसे करें चेक)
एनआरसी की ड्राफ्ट रिपोर्ट आई तो असम में 40 लाख लोगों की नागरिकता पर सवाल उबलने लगा है जिसे लेकर कांग्रेस थोड़ी कन्फ्यूज हो गई है। उसे लग रहा है कि कहीं जनता के बीच ऐसा संदेश ना पहुंच जाए कि पार्टी घुसपैठियों के साथ खड़ी है इसलिए गुलाब नबी आजाद ने कहा इंसानियत, मानवता और मानवाधिकार इस देश में अभी जिंदा है इसलिए इस मामले को इन्हीं नजरिए से देखा जाना चाहिए।
दरअसल एनआरसी का सवाल संसद से सड़क तक सभी पार्टियों के लिए नाक का सवाल बन गया है। बीजेपी के इस फैसले ने सबको उलझा दिया है। बीजेपी बोल रही है, असम के बाद नंबर बंगाल का है और बीजेपी की सरकार आ गई तो वहां भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को खोला जाएगा और यही बात ममता बनर्जी को अखर गई है। ममता ने धमकी भरे लहजे में कह दिया है कि अगर आगे भी इस तरह की कोशिश जारी रही तो देश में गृहयुद्ध छिड़ सकता है, खूनखराबा मच सकता है।
ये सब जानते हैं नेता की बोली से ही भीड़ उमड़ती है और नेता की बोली पर ही लोग बवाल करते हैं। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि बीजेपी इस रजिस्टर के जरिये राजनीति कर रही है लेकिन ममता के बयान पर अमित शाह पूछ रहे हैं कि वो किसे डरा रही हैं, किसे भड़का रही हैं और किसे धमकी दे रही हैं।
संसद के इस शोर को सारी पार्टियां अपनी सियासत के लिए इस्तेमाल करने में लग चुकी है। सियासत अब घुसपैठियों बनाम भारतीयों की होगी लेकिन जहां यह लागू हुआ है उस असम में मातम छाया हुआ है। इंडिया टीवी की टीम इस बात को परखने पहुंची कि असम में असल में हालात क्या है?
इंडिया टीवी की टीम असम के धुबड़ी इलाके में पहुंची। धुबड़ी के गौरीपुर में ऐसे कई लोग मिले जिनका नाम एनआरसी के ड्राफ्ट में नहीं है। एक परिवार ऐसा मिला जिसके कुछ सदस्यों का नाम तो लिस्ट में है लेकिन कुछ का नहीं है। इस इलाके में रहने वाले एक परिवार के लोगों का कहना है कि सभी भाईयों के पास भारत के नागरिक होने का प्रमाण पत्र है। सबने एक ही प्रमाण पत्र दिये थे लेकिन दो भाईयों का लिस्ट में नाम है, बाकी का गायब है।
इंडिया टीवी की टीम धुबड़ी में रहने वाले कई दूसरे परिवारों से भी मिली। विपक्ष का आरोप है कि एनआरसी के जरिए असम के मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है जबकि धुबड़ी के जिस इलाके में हमारी टीम पहुंची थी वहां हिंदुओं की जनसंख्या ज्यादा है और एनआरसी की लिस्ट में यहां के दर्जनों परिवार ऐसे मिले जिनका नाम लिस्ट से गायब था। सबके दिल में एक ही डर था, आगे क्या होगा।
यहीं डोला नाम की एक लड़की मिली जिसकी उम्र कोई 18 साल होगी। मां का नाम लिस्ट में नहीं है जबकि बेटी का नाम है। बेटी को भरोसा है, लिस्ट में नाम आ जाएगा क्योंकि गलती किसी से भी हो सकती है। इस गांव में घूमने के बाद ये साफ हो चुका था कि दिल्ली में बैठकर जो लोग इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश में लगे हैं, उसमें कितना दम है। 40 लाख लोगों की लिस्ट में हिंदू भी है, मुस्लिम भी हैं।