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UN ने कश्मीर, पीओके में मानवाधिकार स्थिति पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट जारी की, भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी

विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों वाले बयान में कहा कि यह रिपोर्ट भारत की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। पाकिस्तान ने आक्रमण के जरिये भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है।

Reported by: Bhasha
Published on: June 15, 2018 10:42 IST
UN rights office report on Kashmir violates India's sovereignty: MEA- India TV Hindi
UN ने कश्मीर, पीओके में मानवाधिकार स्थिति पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट जारी की, भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी

नयी दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट आज जारी की और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की। रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए भारत ने इस रिपोर्ट को भ्रामक और प्रेरित बताकर खारिज कर दिया। नयी दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र में अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि सरकार ‘‘इस बात से गहरी चिंता में है कि संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था की विश्वसनीयता को कमतर करने के लिए निजी पूर्वाग्रह को आगे बढाया जा रहा है।’’ विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों वाले बयान में कहा कि यह रिपोर्ट भारत की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। पाकिस्तान ने आक्रमण के जरिये भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने 49 पेज की अपनी रिपोर्ट में जम्मू कश्मीर (कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख क्षेत्र) और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर दोनों पर गौर किया। पीओके के लिए ‘आजाद जम्मू कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान’ जैसे शब्द प्रयोग करने पर संयुक्त राष्ट्र पर आपत्ति जताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘रिपोर्ट में भारतीय भूभाग का गलत वर्णन शरारतपूर्ण, गुमराह करने वाला और अस्वीकार्य है। ‘आजाद जम्मू कश्मीर’ और ‘गिलगित बाल्टिस्तान’ जैसा कुछ नहीं है।’’ संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान से शांतिपूर्वक काम करने वाले कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंक रोधी कानूनों का दुरूपयोग रोकने और असंतोष की आवाज के दमन को भी बंद करने को कहा।

रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य में लागू सशस्त्र बल (जम्मू कश्मीर) विशेषाधिकार अधिनियम, 1990 (आफस्पा) और जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा अधिनियम, 1978 जैसे विशेष कानूनों ने सामान्य विधि व्यवस्था में बाधा, जवाबदेही में अड़चन और मानवाधिकार उल्लंघनों के पीड़ितों के लिए उपचारात्मक अधिकार में दिक्कत पैदा की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जीद राड अल हुसैन ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों की विस्तृत निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए जांच आयोग के गठन पर विचार करने का अनुरोध करेंगे। इसमें 2016 से सुरक्षा बलों द्वारा कथित अत्याचार की घटनाओं और प्रदर्शनों की जानकारी मौजूद है।

संयुक्त राष्ट्र संस्था ने कहा कि उसकी रिपोर्ट के निष्कर्ष के आधार पर, कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों की विस्तृत निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय जांच कराने के लिए जांच आयोग गठित होना चाहिए। संस्था ने पाकिस्तान से उसके कब्जे वाले कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून की प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से सम्मान करने को कहा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह तथ्य परेशान करने वाला है कि रिपोर्ट बनाने वालों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान वाले और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी संगठनों को हथियारबंद संगठन और आतंकवादियों को नेता बताया है। उन्होंने कहा कि यह आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर संयुक्त राष्ट्र की आमसहमति को कमतर करता है।

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