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भारतीय सेना में बतौर क्लर्क जानकारी जुटे रहे 2 पाकिस्तानी जासूस निष्कासित

जासूसी की गतिविधियों में लिप्त पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों आबिद हुसैन आबिद और मोहम्मद ताहिर की हिरासत के बाद अब उन्हें अवांछित घोषित करते हुए भारत से निष्कासित घोषित कर दिया गया है।

Reported by: IANS
Published : June 01, 2020 22:22 IST
भारतीय सेना में बतौर...
Image Source : IANS PHOTO भारतीय सेना में बतौर क्लर्क जानकारी जुटे रहे 2 पाकिस्तानी जासूस निष्कासित

नई दिल्ली: जासूसी की गतिविधियों में लिप्त पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारियों आबिद हुसैन आबिद और मोहम्मद ताहिर की हिरासत के बाद अब उन्हें अवांछित घोषित करते हुए भारत से निष्कासित घोषित कर दिया गया है। पाकिस्तानी उच्चायोग के दो अधिकारी रविवार को जासूसी करते पकड़े गए थे। मिल्रिटी इंटेलिजेंस (एमआई) के एक ऑपरेशन में पाया गया कि ये लोग भारतीय सेना के क्लर्क के रूप में भारतीय रक्षाकर्मी से सीमा पर सैन्य टुकड़ी की तैनाती के बारे में जानकारी इकट्ठा करना चाहते थे।

शीर्ष खुफिया सूत्रों के अनुसार, आबिद और ताहिर दोनों ने रविवार दोपहर दिल्ली के करोलबाग इलाके में एक डिकॉय से मुलाकात के दौरान भारतीय सेना के साथ काम करने वाले क्लर्क के रूप में अपनी पहचान बताई। सूत्र ने कहा, "उन्होंने कहा कि वे भारतीय सेना में क्लर्क के रूप में तैनात हैं और कुछ समय उन्होंने अन्य सरकारी कार्यालयों में काम करने के बारे में बताया। उन्होंने भारतीय बलों की तैनाती के बारे में जानकारी इकट्ठा करने की कोशिश की।" एमआई ने रविवार को तीन लोगों को हिरासत में लिया, जिनकी पहचान पाकिस्तानी मिशन में सहायक आबिद (42), क्लर्क ताहिर (44) और एक ड्राइवर जावेद हुसैन (36) के रूप में हुई है, जो पिछले कुछ महीनों से निगरानी में थे।

खुफिया (इंटेलिजेंस) अधिकारियों के अनुसार, उन्हें एक डिकॉय से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान की जानकारी प्राप्त करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। सूत्र ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान वापस भेजा जा रहा है और वे सोमवार शाम को पंजाब की अटारी सीमा पार करेंगे। विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान में रविवार रात कहा गया कि नई दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायोग के दो अधिकारियों को जासूसी गतिविधियों में लिप्त होने के लिए गिरफ्तार किया गया है। पाकिस्तान ने हालांकि हमेशा की तरह भारत को आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।

करोलबाग क्षेत्र में एक डिकॉय के साथ बैठक के दौरान आबिद की कॉल और ऑडियो रिकॉर्डिग आईएएनएस के पास भी है। आबिद द्वारा डिकॉय को की गई फोन कॉल में कथित पाकिस्तानी जासूस को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "मैंने एक दोस्त से यह सोचकर आपका नंबर लिया है कि वो मेरा दोस्त है।" आबिद ने आगे डिकॉय को बताया कि एक ही नाम वाला एक और दोस्त है और यही वजह रही कि उसने भारतीय सेना में अपने एक दोस्त से उसका नंबर मांगा।

आबिद ने डिकॉय को यह भी सूचित किया कि उसने अपने परिवार को नोएडा में रखा है और वह यूनिट में रहने के बजाय वहीं उनके साथ रहता है। ऑडियो में, आबिद को डिकॉय से पूछते हुए भी सुना जा सकता है कि क्या वह व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें व्हाट्सएप का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। इस पर आबिद ने डिकॉय से कहा, "ऐसा कोई नियम नहीं है और हम तो इसका (व्हाट्सएप) उपयोग करते हैं, हो सकता है आप नए हों, इसलिए।" आबिद ने डिकॉय से उसका मोबाइल नंबर सेव करने के लिए भी कहा।

डिकॉय के साथ जासूस की बैठक के दौरान दर्ज किए गए 22 मिनट के ऑडियो क्लिप में दोनों जासूसों को डिकॉय से पूछते हुए सुना जा सकता है कि क्या वह किसी रेस्तरां में कुछ खाना पसंद करेंगे। मिल्रिटी इंटेलिजेंस के डिकॉय ने कहा कि अब वे (सैनिक) जो छुट्टी पर चले गए हैं, वे नहीं आएंगे। आबिद तब डिकॉय को बात के लिए कैंटीन में उनके साथ बैठने के लिए कहता है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार, दोनों में से हुसैन (42), पाकिस्तान उच्चायोग में व्यापार विभाग में सहायक के रूप में काम कर रहा था, जो पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई की संचालक है और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से है। जासूसी गतिविधियों में लिप्त रहते हुए उसने भारतीय रक्षा कर्मियों से कहा कि वह अमृतसर से है।

एक सूत्र ने कहा कि दोनों अधिकारी उनकी संदिग्ध गतिविधियों के लिए भारतीय एजेंसियों के रडार पर थे। सूत्र ने आगे कहा कि जासूसी रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए एमआई का ऑपरेशन पिछले पांच से छह महीने से चल रहा था। उन्होंने कहा, "लेकिन लॉकडाउन ने ऑपरेशन में देरी हुई, क्योंकि उनकी यूनिट से सैनिकों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध था।"

सूत्र ने आगे कहा कि आईएसआई की गुप्त योजनाओं के अनुसार, उन्होंने 2013 से पाकिस्तान उच्चायोग के साथ काम करना शुरू कर दिया, जबकि एक ने चालक के रूप में काम शुरू किया। सूत्र ने कहा कि उन्हें जासूसी के लिए हर महीने मोटी रकम भी दी जाती थी।

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