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बेरोजगारी की 2 दर्दनाक तस्वीरें, इंजीनियर बनना चाहते हैं जेल वॉर्डर और अध्यापक- चपरासी

देश में बेरोजगारी की स्थिति को दिखाने वाली दो और तस्वीरें सामने आई हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 13, 2018 14:55 IST
सांकेतिक तस्वीर (Photo source-...
सांकेतिक तस्वीर (Photo source- PTI)

देश में बेरोजगारी की स्थिति को दिखाने वाली दो और तस्वीरें सामने आई हैं। पहली पंजाब से, जहां जेल वॉर्डर की 267 पदों की भर्ती के लिए करीब 57,000 ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और प्रोफेशनल डिग्री होल्डर्स ने आवेदन किया है। वहीं, दूसरी तस्वीर सामने आई है हरियाणा से, जहां ग्रुप डी के 18,216 पदों पर भर्ती के लिए करीब 18 लाख आवेदन आए हैं।

पंजाब की परिस्थितियां

पंजाब में जेल वॉर्डर के 267 पदों पर भर्ती के लिए 57,000 से ज्यादा आवेदन आए हैं। इसमें गौर देने वाली बात ये है कि आवेदन करने वालों में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट और प्रोफेशनल डिग्री होल्डर्स भी शामिल हैं. जेल वॉर्डर का पद कॉन्स्टेबल की बराबर का होता है, जिसके लिए इंजीनियर्स तक ने आवेदन किया है।

कुल आवेदकों में करीब 20,000 ग्रेजुएट, और 22,000 पोस्ट ग्रेजुएट हैं। इसके अलावा करीब 17,000 हजार आवेदक की अलग-अलग क्वालिफिकेशन है। बता दें कि जेल वॉर्डर की पोस्ट के लिए मिनिमम एजुकेशनल क्वालिफिकेशन 12वीं है, जिसमें 10,300 रुपये से 34,800 रुपये तक सैलरी है। 

इस मामले में एक अधिकारी ने कहा कि "नौकरी के लिए अधिक योग्यता वालों से हमें उम्मीद नहीं है कि अनुशासन को लागू करने के लिए इनसे बल का उपयोग करा सकते हैं। पहले ही पंजाब पुलिस में कानून और व्यवस्था के लिए नियुक्त हाल ही में भर्ती किए गए कॉन्स्टेबलों के साथ हमें समस्या हो रही हैं।" अधिकारी ने बताया कि “शुरू में ट्रेनिंग सिर्फ 3 महीनों की होती थी लेकिन, विचार विमर्श करने के बाद इसे 9 महीनों की कर दिया गया है.

हरियाणा में बेरोजगारी की हकीकत

हरियाणा में बेरोजगारी ने पढ़े-लिखे युवाओं को ग्रुप डी की नौकरियों के लिए आवेदन करने पर मजबूर कर दिया है. यहां ग्रुप डी के 18,216 पदों पर भर्तियां निकली हैं, जिसके लिए करीब 18 लाख आवेदन आए हैं. 

हरियाणा सर्विस सलेक्शन कमीशन (HSSC) की ओर से 10 और 11 नवंबर को आयोजित लिखित परीक्षा में करीब 9 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया। वहीं 17 और 18 नवंबर को आयोजित होने वाली परीक्षा में भी करीब इतने ही अभ्यर्थियों भाग लेंगे.

संस्कृत में पोस्ट ग्रेजुएट और BEd कर चुके अमित कुमार ने बताया कि वो एक निजी स्कूल में टीचर हैं और करीब 5 हजार रुपये महीना कमाते हैं. उन्होंने कहा कि BEd पूरा करने के 10 साल बाद भी मैं सरकारी स्कूल में नौकरी नहीं पा सका। स्कूल में विज्ञान के अध्यापक की सैलरी करीब 10,000 रुपये हैं। जबकि ग्रुप डी में चपरासी की सैलरी 20,000 रुपये से शुरू होती है. 

मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट दीपक पुरी, सिरसा में एक छोटे अकबार में काम करते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि ग्रुप डी के पदों पर भर्ती के लिए NET पास करने वालों ने भी आवेदन किया है. उन्होंने कहा कि एक बार सरकारी नौकरी लग गई तो बाद में प्रमोट भी हो सकते हैं।

इन बयानों और आंकड़ों से दोनों जगहों की स्थिति साफ है कि यहां बेरोजगारी का क्या आलम है। बाकी, राजनीतिक दल इस स्थिति के लिए एक-दूसरे पर दोष मढ़ने में लगे हुए हैं। हरियाणा के स्टेट लेबर मिनिस्टर नायब सिंह ने कहा कि ये सब कांग्रेस की पिछली सरकार की वजह से हो रहा है।

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