नई दिल्ली: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर रखा है। दुनिया के करीब 150 से ज्यादा देश कोरोना वायरस का शिकार हो चुके हैं। भारत भी इन देशों में से एक है। भारत के कई राज्यों ने भी कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया है। ऐसे में देश के भीतर इस महामारी से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर काम जारी है। लेकिन, यह पहला मौका नहीं है जब भारत किसी महामारी से जूझ रहा है। इससे भी खतरनाक एक महामारी ने अब से 102 साल पहले देश को हिला दिया था।
साल 1918 में मुंबई में महामारी फैली थी। तब यहां फैले इन्फ्ल्युएंजा फ्लू ने करीब दो करोड़ लोगों की जान ली थी। इन्फ्ल्युएंजा फ्लू को पहले बंबई इन्फ्ल्युएंजा के नाम से जाना गया और फिर बाद में इसे आम तौर पर बंबई बुखार कहा जाने लगा। इस महामारी के बाद साल 1921 में जब जनगणना हुई तो कुल लोगों की संख्या उस आंकड़े से भी कम रही, जो आंकड़ा साल 1911 की जनगणना में निकलकर सामने आया था जबकि इससे पहले हर 10 साल में होने वाली जनगणना में यह आंकड़ा करीब 2 करोड़ के हिसाब से बढ़ रहा था।
सेंसस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1901 की जनगणना में 23 करोड़ 86 लाख 96 हजार 327 जनसंख्या थी। इसके बाद 1911 की जनगणना में यह आंकड़ा करीब 2 करोड़ बढ़ा और जनसंख्या 25 करोड़ 20 लाख 93 हजार 390 हो गई। लेकिन, फिर भारत ने 1918 में इन्फ्ल्युएंजा फ्लू का दंश झेला। जिसके बाद 1921 में हुई जनगणना में 1911 के आंकड़े से भी कम जनसंख्या रिकॉर्ड की गई। 1921 में भारत की जनसंख्या सिर्फ 25 करोड़ 13 लाख 21 हजार 213 रह गई।
कहा जाता है कि पहले विश्व युद्ध के बाद बंबई बंदरगाह पर लौटे ब्रिटिश इंडिया के सैनिक इन्फ्ल्युएंजा फ्लू लेकर आए थे। यह सैनिक मई 1918 में यहां लौटे थे। इसके एक महीने के भीतर ही बंबई से लेकर पूरे देश में तेजी से मौतें होने लगी थीं। इन्फ्ल्युएंजा फ्लू में मरीज को बुखार, हाथ-पांव में जकड़न, फेफड़ों में सूजन और आंखों में दर्द की शिकायत होती थी। इलाज के आभाव में देश के कई हिस्सों में लोगों की जान गई। ऐसे में अब एक बार फिर देश महामारी से जूझ रहा है। लेकिन, हालात पहले जैसे भयानक नहीं हैं, सतर्क रहें।