नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती वहां की सुरक्षा की स्थिति और फेरबदल की जरूरत पर आधारित होती है, और ऐसी बातों पर सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं की जा सकती। मंत्रालय के सूत्रों ने यह भी कहा कि केंद्रीय बलों की 100 कंपनियों (10,000 सैनिकों) को एक हफ्ते पहले यहां तैनात करने का आदेश दिया गया था और वे अपने-अपने गंतव्यों पर पहुंचने की प्रक्रिया में हैं। इस आदेश से स्पष्ट तौर पर अतिरिक्त बलों की तैनाती की अटकलें तेज हो गई थी।
सूत्रों ने कहा, “आंतरिक सुरक्षा स्थिति, प्रक्षिक्षण की आवश्यकताओं, आराम एवं स्वस्थ हो जाने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती में फेरबदल की जरूरत, केंद्रीय बलों की तैनाती एवं वापसी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है।” उन्होंने कहा कि तैनाती और किसी खास क्षेत्र में तैनात अर्द्धसैनिक बलों की गतिविधि के ब्योरे पर सार्वजनिक तौर पर कभी भी चर्चा नहीं की जाती।
बता दें कि चार दिन पहले पैरीमिलिट्री फोर्सेस की 100 कंपनियों को तैनात किया गया था। अब नए आदेश के मुताबिक 250 कंपनियों को और तैनात किया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार जम्मू कश्मीर में बड़ा कदम उठाने वाली है। यहां चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों की तैनाती की जा रही है। पूरी घाटी को छावनी में तब्दील किया जा रहा है। हर उस जगह पर जवान तैनात किए जा रहे हैं जहां गड़बड़ी की आशंका है। इस बार जारी नए आदेश के मुताबिक जम्मू कश्मीर में अर्धसैनिक बलों की 250 और कंपनियां भेजी जाएंगी।
इसका मतलब ये हुआ कि 25 हज़ार जवानों को और तैनात किया जाएगा। 7 अगस्त से पहले 250 कंपनियां जम्मू कश्मीर भेजी जानी हैं। 100 कंपनिया चार दिन पहले ही भेजी गई हैं। सूत्रों ने कहा कि इस तरह अचानक 250 कंपनियों को देर शाम तैनात किये जाने का कोई कारण नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में प्रवेश और बाहर निकलने के सभी रास्तों को केन्द्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों को सौंप दिया गया है। स्थानीय पुलिस की महज प्रतीकात्मक उपस्थिति है।
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सुरक्षाबलों की अचानक तैनाती पर सवाल उठाए हैं। उमर ने न्यूज एजेंसी ANI के एक ट्वीट का उल्लेख करते हुए लिखा, 'कश्मीर में कौन से 'मौजूदा हालातों' के लिए आर्मी और एयरफोर्स को अलर्ट पर रखने की जरूरत है। यह धारा 35A या परिसीमन के बारे में नहीं है। इस तरह का अलर्ट, यदि आया है, तो किसी बहुत ही अलग चीज के लिए होगा।'
बता दें कि जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती ने घाटी के लोगों और नेताओं को ही नहीं पाकिस्तान को भी बेचैन कर दिया है। उसने कहा है कि वह इस मामले को पूरी दुनिया के सामने उठाएगा। बुधवार को विदेश मंत्रालय में जम्मू एवं कश्मीर मामलों की संसदीय समिति की पांचवीं बैठक के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय कार्रवाई पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा, ‘भारत की युद्ध मनोदशा चिंताजनक है। उन्होंने (भारत ने) दस हजार और सैनिक कश्मीर में भेजे हैं। वे मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। पाकिस्तान इस मुद्दे को पूरी दुनिया के सामने उठाएगा। भारत वार्ता के लिए तैयार नहीं है और न ही किसी और की मध्यस्थता के लिए तैयार है। यह एक विचित्र स्थिति है।’