नयी दिल्ली: मुस्लिमों में एक बार में तीन तलाक की प्रथा को अपराध की श्रेणी में लाने वाला तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में सोमवार को भी फैसला नहीं हो पाया। लगातार जारी हंगामे की वजह से उपसभापति ने राज्यसभा की कार्यवाही को 2 जनवरी 2019 को सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया। इससे पहले चर्चा शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी सांसदों की तरफ से ट्रिपल तलाक बिल को सिलेक्ट कमेटी को भेजने पर अड़े हुए थे। सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने व्हिप जारी करके अपने अपने सदस्यों से सोमवार को ऊपरी सदन में उपस्थित रहने को कहा था। अन्य दलों ने भी अपने सांसदों से यह विधेयक सदन में पेश करने के दौरान उपस्थित रहने को कहा था। आज राज्यसभा में विपक्ष के 127 और सत्तापक्ष के 90 सांसद मौजूद थे।
विवादित तीन तलाक विधेयक को विपक्षी दलों का कड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है। विपक्ष इसे आगे की जांच के लिए प्रवर समिति में भेजने की अपनी मांग को लेकर लामबंद है। सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू के अपनी सास के निधन के कारण सोमवार को सदन में उपस्थित रहने की संभावना नहीं है और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सदन की कार्यवाही के संचालन का जिम्मा संभाल सकते हैं।
विधेयक को बृहस्पतिवार को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच लोकसभा द्वारा मंजूरी दी जा चुकी है। विधेयक के पक्ष में 245 जबकि विपक्ष में 11 वोट पड़े थे। प्रसाद ने शुक्रवार को दावा किया था कि भले ही राज्यसभा में भाजपा नीत राजग के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं हो लेकिन सदन में इस विधेयक को समर्थन मिलेगा। विधेयक को सोमवार को राज्यसभा के विधायी एजेंडे में शामिल किया गया है। विपक्ष ने तीन तलाक विधेयक के मजबूत प्रावधानों पर सवाल उठाए हैं। लोकसभा में विपक्ष ने इस विधेयक पर और गौर करने के लिए इसे संसद की ‘संयुक्त प्रवर समिति’ के पास भेजने की मांग की थी।
संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने भी इस विधेयक को पारित कराने में सभी दलों से समर्थन मांगा है। प्रस्तावित कानून में, एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और शून्य ठहराया गया है और ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास का प्रावधान है।