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ट्रिपल तलाक और नागरिकता विधेयक हो जाएंगे अब निष्प्रभावी

संसदीय नियमों के अनुसार राज्यसभा में पेश किये गये विधेयक लंबित होने की स्थिति में लोकसभा के भंग होने पर निष्प्रभावी नहीं होते हैं। वहीं लोकसभा से पारित विधेयक यदि राज्यसभा में पारित नहीं हो पाते हैं तो वह लोकसभा के भंग होने पर निष्प्रभावी हो जाते हैं

Written by: Bhasha
Published : February 13, 2019 15:26 IST
Triple Talaq and citizen amendment bill lapse as Rajya Sabha adjourns Sine Die
Triple Talaq and citizen amendment bill lapse as Rajya Sabha adjourns Sine Die

नई दिल्ली। वर्तमान लोकसभा के अंतिम सत्र (बजट सत्र) के दौरान विवादित नागरिकता संशोधन विधेयक और तीन तलाक संबंधी विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं किये जा सकने के कारण इनका निष्प्रभावी होना तय है। दोनों विधेयक लोकसभा से पारित हो चुके हैं लेकिन उच्च सदन में बजट सत्र के दौरान कार्यवाही लगातार बाधित रहने के कारण इन्हें राज्यसभा में पारित नहीं किया जा सका। तीन जून को इस लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर ये दोनों विधेयक निष्प्रभावी हो जायेंगे। 

संसदीय नियमों के अनुसार राज्यसभा में पेश किये गये विधेयक लंबित होने की स्थिति में लोकसभा के भंग होने पर निष्प्रभावी नहीं होते हैं। वहीं लोकसभा से पारित विधेयक यदि राज्यसभा में पारित नहीं हो पाते हैं तो वह लोकसभा के भंग होने पर निष्प्रभावी हो जाते हैं। नागरिकता विधेयक और तीन तलाक विधेयक के कुछ प्रावधानों का विपक्षी दल राज्यसभा में विरोध कर रहे हैं। उच्च सदन में सत्तापक्ष का बहुमत नहीं होने के कारण दोनों विधेयक लंबित हैं। 

नागरिकता विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आये वहां के अल्पसंख्यक (हिंदू, जैन, इसाई, सिख, बौद्ध और पारसी) शरणार्थियों को सात साल तक भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया है। मौजूदा प्रावधानों के तहत यह समय सीमा 12 साल है। इन देशों के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को निर्धारित समय सीमा तक भारत में रहने के बाद बिना किसी दस्तावेजी सबूत के नागरिकता देने का प्रावधान है। नागरिकता विधेयक गत आठ जनवरी को शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया गया था। इसका असम सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध किया जा रहा है। 

इसी प्रकार मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश के तहत ‘तीन तलाक’ को अपराध घोषित करने के प्रावधान का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। इसमें तीन तलाक बोलकर पत्नी को तलाक देने वाले पति को जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। तीन तलाक को अवैध घोषित कर इसे प्रतिबंधित करने वाले प्रावधानों को सरकार अध्यादेश के जरिये दो बार लागू कर चुकी है। इस अध्यादेश को विधेयक के रूप में पिछले साल सितंबर में पेश किया गया था जिसे लोकसभा से दिसंबर में मंजूरी मिली थी लेकिन इस विधेयक के राज्यसभा में लंबित होने के कारण सरकार को दोबारा अध्यादेश लागू करना पड़ा। 

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