नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के मंडला जिले में एक आदिवासी युवती का धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम युवक से उसका निकाह कराने की खबर सामने आई है। मजेदार बात तो यह है कि नवदंपति को बधाई देने क्षेत्रीय सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते सहित भाजपा के तमाम नेता पहुंच गए। इस मामले ने जब तूल पकड़ा, तब जांच की बात कही जा रही है। मंडला के रामनगर में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस मौके पर तीन दिवसीय आदि उत्सव भी हुआ। तीन दिन चले इस समारोह के दौरान 26 अप्रैल को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत मंडला निवासी शिवराम वनवासी की 22 वर्षीय बेटी सरस्वती का धर्म परिवर्तन कराए जाने के बाद उसका निकाह सद्दाम हुसैन नामक युवक से करा दिया गया।
गंभीर बात यह है कि सरस्वती का निकाह उसके माता-पिता की गैरमौजूदगी में कराई गई। प्रशासनिक अमले ने कागजी खानापूर्ति कर आदिवासी युवती का निकाह करा दिया और महत्वपूर्ण बात यह कि इस नवदंपति को बधाई और आशीर्वाद देने वालों में पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते भी थे। इस घटना पर विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री अवधेश सिंह ने कहा, "आदिवासी इलाकों में साजिश रचकर गैर आदिवासियों की आदिवासी लड़कियों से शादी कराई जाती है, ताकि वह आदिवासी के नाम पर जमीन आदि खरीदने के साथ सरकारी योजनाओं का लाभ ले सके। उसके बाद उन युवतियों की हैसियत रखैल से ज्यादा कुछ नहीं होती।" उन्होंने आगे कहा कि सरस्वती के माता-पिता ने मुस्लिम से शादी का विरोध किया था, तो प्रशासन ने शादी के आवेदन को खारिज कर दिया था और सरस्वती की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं होने का हवाला दिया था, मगर बाद में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत निकाह कैसे हो गया, यह सवाल है। अगर निकाह होना था तो निकाह योजना में होना चाहिए था। इतना ही नहीं, आदिवासी युवती का निकाह से पहले धर्म परिवर्तन भी कराया गया होगा।
सिंह के मुताबिक, उन्होंने इस मामले की शिकायत मंडला की जिलाधिकारी सूफिया फारुखी से की है, उन्होंने जांच का भरोसा दिलाया है। इस मामले में जिलाधिकारी से कई बार संपर्क करने का प्रयास किया, मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया। जिला प्रशासन मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में निकाह होने और धर्म परिवर्तन की बात को छुपाने की हर संभव कोशिश में लगा है। हिंदूवादी संगठन भी जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली से काफी नाराज है। अनुसूचित जनजाति आयोग की अध्यक्ष अनुसुइया उइके ने आईएएनएस से कहा, "यह बड़ा गंभीर मामला है, आयोग ने जिलाधिकारी से सभी दस्तावेज मांगे हैं, साथ ही पता लगाया जा रहा है कि एक बार जब यह विवाह निरस्त हो गया था, तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में निकाह कैसे हुआ। यह धर्म परिवर्तन का मामला है। सीधे तौर पर यह अनुसूचित जनजाति वर्ग के भोले-भाले लोगों के साथ धोखा है।"
उन्होंने आगे कहा कि मंडला के अलावा डिंडोरी, बालाघाट में भी जनजातीय वर्ग के लोगों के विवाह हुए हैं, उन सभी की जांच कराई जाएगी। आयोग अपनी ओर से सारे दस्तावेजों की पड़ताल करेगा। साथ ही दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी। वर-वधू को आशीर्वाद देने अनुसुइया उइके और सांसद संपतिया उइके भी पहुंची थीं, मगर उन्हें इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि क्या गड़बड़ी हुई है। बहरहाल, इस घटना का भाजपा और हिंदूवादी संगठन विरोध कर रहे हैं, वहीं जिला प्रशासन इस पर पर्दा डालने में जुटा हुआ है।