नई दिल्ली: स्कूल एक साल से अधिक समय से बंद होने और घर पर कुछ खास काम नहीं होने के चलते 15 वर्षीय शाहिदा (बदला हुआ नाम) ने सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना शुरू कर दिया। जल्द ही किशोरी का सम्पर्क सोशल मीडिया पर 24 वर्षीय आदिल के साथ हो गया। आदिल ने उससे कहा कि अगर वह उससे शादी करती है तो वह उसे एक अच्छे स्कूल में भेजेगा और उसकी अच्छी देखभाल करेगा। आखिरकार, वह किशोरी को अपने साथ भागने के लिए मनाने में कामयाब रहा।
आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था शाहिदा का परिवार
शाहिदा का परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था क्योंकि उसके पिता की नौकरी लॉकडाउन के दौरान छूट गई थी। शाहिदा उस अच्छे जीवन को लेकर उत्साहित थी जो आदिल ने उसे देने का वादा किया था। मई के अंत में जब आदिल, शाहिदा को अपने साथ लेने आया तो ग्राम बाल संरक्षण समिति के बाल प्रतिनिधियों ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को सूचना दी, जिसने समय रहते शादी रोक दी। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में अपने परिवार के साथ रहने वाली शाहिदा ने कहा, ‘आदिल ने मुझे विश्वास दिलाया कि अगर मैंने उससे शादी की तो मैं एक अच्छे स्कूल में जा सकती हूं। उसने कहा कि इससे मेरा स्कूल में दाखिला लेना आसान हो जाएगा।’
‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं खतरे में पड़ सकती हूं’
शाहिदा ने कहा, ‘मैं उसके प्रस्ताव पर सहमत हो गई क्योंकि मुझे एक दिन में एक समय का भोजन मिलने की उम्मीद थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं खतरे में पड़ सकती हूं।’ ‘सेव द चिल्ड्रेन’ की बाल संरक्षण कार्यकर्ता रीता परामिक ने शाहिदा की शादी रोकी थी। उन्होंने कहा कि शाहिदा का मामला तस्करों द्वारा बच्चों को निशाना बनाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले कई मामलों में से एक है, जो स्कूल बंद होने एवं खेलने के लिए बाहर नहीं जाने के चलते काफी समय ऑनलाइन बिता रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इन दिनों तस्करों ने अपना तौर-तरीका बदल लिया है। सोशल मीडिया एक ऐसा मंच है, जिसके जरिए वे शाहिदा जैसे बच्चों को अपने चंगुल में फंसाते हैं।’
‘सोशल मीडिया पर लड़कियों को दिया जा रहा शादी का लालच’
पश्चिम बंगाल में ‘सेव द चिल्ड्रेन’ की युवा अधिवक्ता ममता सरदार ने कहा कि सोशल मीडिया पर लड़कियों को शादी का लालच दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘चूंकि अधिकांश बच्चे अब घर पर हैं और ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, वे सोशल मीडिया पर हैं।’ सरदार ने कहा कि उन्होंने सतर्कता बढ़ा दी है क्योंकि महामारी के दौरान कई बच्चों के माता-पिता की नौकरी चली गई है, जिससे बाल तस्करी की संभावनाएं बढ़ गई हैं। सरदार ने कहा कि उन्होंने कम से कम 3 लड़कियों को काउंसलिंग दी है, जो सोशल मीडिया पर उनसे संपर्क करने वाले पुरुषों से शादी करने के लिए लगभग तैयार थीं।
‘दूसरी लहर के बाद मैंने 5 बाल विवाह को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया’
सरदार ने कहा, ‘महामारी की दूसरी लहर के बाद से, मैंने 5 बाल विवाह को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया है और लड़कियों के माता-पिता को उनकी शादी से पहले उनकी शिक्षा पूरी करने के लिए मनाया है।’ ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के कार्यक्रम एवं नीति निदेशक अनिंदित रॉय चौधरी ने कहा कि महामारी के दौरान बाल विवाह तेजी से बढ़े हैं और यहां तक कि उन गांवों में भी हो रहे हैं, जहां वर्षों से ऐसा कोई मामला नहीं देखा गया था। (भाषा)