लुधियाना. दिल्ली की सीमाओं पर किसान संगठनों का आंदोलन जारी है। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आंदोलन को करीब 2 महीने हो चुके हैं। इसबीच किसान संगठनों ने धमकी दी हुई है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी और कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया तो वो गणतंत्र दिवस के मौके पर अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुस जाएंगे और ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर यूपी की तरफ आ रहे हैं। रविवार को लुधियाना से बड़ी तादाद में किसानों ने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की तरफ कूच की। समूह में शामिल एक किसान ने कहा कि हम आने वाले 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। उन्होंने कहा कि रैली में ट्रैक्टरों की संख्या 1 लाख के आसपास होगी। बता दें कि उच्चतम न्यायालय में किसानों की ट्रैक्टर रैली के खिळफ याचिका दायर की गई गई। इस याचिका पर सोमवार को कोर्ट सुनवाई कर सकती है।
सरकार और किसानों की अगली वार्ता 19 जनवरी को होगी
शुक्रवार को सरकार और किसानों के बीच वार्ता हुई थी, जो बेनतिजा रही थी। सरकार ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी। तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान तीन नये विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी।विज्ञान भवन में करीब पांच घंटे तक चली बैठक में तीनों केंद्रीय मंत्री किसी निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच सके। इसके बाद दोनों पक्षों ने तय किया कि अगली बैठक 19 जनवरी को होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार का रूख लचीला है और उन्होंने किसान संगठनों से भी रूख में लचीलापन लाने की अपील की। यह संयोग ही है कि अगले दौर की वार्ता उस दिन होने जा रही है जिस दिन कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध दूर करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति की पहली बैठक होने की संभावना है। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संवाददाताओं से कहा सरकार की कोशिश है कि वार्ता के माध्यम से कोई रास्ता निकले और किसान आंदोलन समाप्त हो।
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