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दाऊद इब्राहिम की ‘डी-कंपनी’ से नजदीकी वाले बड़े नेताओं की जांच कर रही है ED

ईडी के अधिकारी मिर्ची के दोनों सहयोगियों से राजनेताओं और बिल्डरों से उनके संबंधों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।

Reported by: IANS
Published : October 13, 2019 7:35 IST
Top politicians' names emerge in D-company deals, ED probes links | Twitter
Top politicians' names emerge in D-company deals, ED probes links | Twitter

मुंबई: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने डी-कंपनी के प्रमुख सदस्य और नशीले पदार्थो के तस्कर इकबाल मिर्ची के सहयोगियों पर कड़ी कार्रवाई शुरू की है। इससे एक पूर्व नागरिक विमानन मंत्री समेत कई बड़े राजनेता मुसीबत में फंस सकते हैं। ईडी के अधिकारी मिर्ची के दोनों सहयोगियों से राजनेताओं और बिल्डरों से उनके संबंधों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। इन राजनेताओं और बिल्डरों का संबंध कथित रूप से डी-कंपनी की प्रमुख संपत्तियों से संबंधित लेन-देन से है।

‘हवाला के माध्यम से हुआ पैसों का लेन-देन’

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मिर्ची के सहयोगी- हारून यूसुफ और रंजीत सिंह बिंद्रा कथित रूप से मिर्ची की तीन प्रमुख संपत्तियों में बेचने के मामले में शामिल हैं। मिर्ची की मौत 2013 में हो चुकी है। पॉश इलाके वर्ली में स्थित ये इमारतें राबिया मेन्शन, मरियम लॉज और सी व्यू हैं। ईडी के सूत्रों के अनुसार, करोड़पति प्रॉपर्टी डीलर बिंद्रा के राजनीतिक और कार्पोरेट सेक्टरों में अच्छे संपर्क हैं। जहां बिंद्रा ने बड़े और सशक्त लोगों से संपर्क किया, वहीं यूसुफ ने हवाला के माध्यम से पैसे का लेन-देन किया।

मुंबई हमलों के बाद जब्त की गई थीं संपत्तियां
रजिस्ट्री के दस्तावेजों में इमारतों के वास्तविक मालिक सर मोहम्मद यूसुफ ट्रस्ट के चेयरमैन के पद पर जाने के लिए यूसुफ पर डी-कंपनी का हाथ था। ये सौदेबाजियां मिर्ची के मालिकाना हक पर पर्दा डालने के लिए कई परतों में की गईं। ईडी ने पाया कि ये इमारतें दाऊद-मिर्ची गिरोह के आपराधिक कामों की कमाई से खरीदी गई थीं। सूत्रों ने कहा कि ये संपत्तियां अवैध तरीके से 1990 के शुरुआती दशक में मिर्ची के नाम स्थानांतरित की गई थीं। मुंबई सीरियल बम हमलों की जांच के दौरान ये संपत्तियां डी-कंपनी से संबद्ध पाई गईं और इन्हें जब्त कर लिया गया।

‘मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री समेत कई बड़े नाम शामिल’
हालांकि कोर्ट ने 2005 में इस आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया कि संपत्तियों का वास्तविक मालिक मिर्ची या दाऊद नहीं, बल्कि सर मोहम्मद यूसुफ ट्रस्ट है। कुछ सालों के बाद, मालिकाना हक का विवाद दबने के बाद, मिर्ची ने बिल्डर्स से बात करने के लिए एक हुमायूं को प्रतिनिधि के तौर पर तैयार किया। इसके बाद इमारतें विभिन्न रियलिटी फर्मो और बिल्डर्स को बेची गईं, जिन्होंने उन्हें बाद में किसी अन्य कंपनी को बेच दिया, जिसे शीर्ष राजनेताओं का आश्रय मिला हुआ था। ईडी के सूत्रों ने कहा कि मामले में राजनेताओं, कॉर्पोरेट घरानों और एक पूर्व नागरिक विमानन मंत्री का नाम भी शामिल है। 

225 करोड़ रुपये में बिकी थीं तीनों इमारतें
हालांकि, सौदे में अभी तक उनका सीधा संबंध नहीं निकल पाया है। जांच के अनुसार, ज्यादातर सौदे 2010 तक हुए, जब मिर्ची जीवित था। तीनों इमारतें लगभग 225 करोड़ रुपये में बिकी थीं। इसमें से मिर्ची के प्रतिनिधि हुमायूं को सिर्फ 60 करोड़ रुपये मिले, और शेष रुपये हवाला के माध्यम से दुबई भेज दिए गए। सूत्रों ने कहा कि मिर्ची ने दुबई में एक पांच-सितारा होटल खरीद लिया और सबूत इकट्ठे करने के बाद ईडी नए कानून के तहत संपत्ति को जब्त करने पर विचार कर रही है।

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