Monday, December 23, 2024
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चीन, लद्दाख, कोरोना, अनलॉक... जानें, पीएम मोदी के ‘मन की बात’ की 10 बड़ी बातें

अपने संबोधन में एक तरफ जहां पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत कोरोना वायरस से जंग में जीतकर नई ऊंचाइयों की तरफ बढ़ेगा, तो वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए जवानों के पराक्रम को याद किया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : June 28, 2020 13:39 IST
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Image Source : PTI प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 66वें संस्करण में कई मुद्दों पर बात की।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 66वें संस्करण में कई मुद्दों पर बात की। अपने संबोधन में एक तरफ जहां उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत कोरोना वायरस से जंग में जीतकर नई ऊंचाइयों की तरफ बढ़ेगा, तो वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए जवानों के पराक्रम को याद किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मॉनसून, वोकल फॉर लोकल समेत तमाम मुददों पर बोले। आइए, आपको बताते हैं पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें:

1- ‘आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला’

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में राष्ट्र को संबोधित करते हुए लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में शहीद हुए देश के 20 जवानों के पराक्रम को याद किया। पीएम ने कहा, ‘लद्दाख में भारत की भूम पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है कि वो कभी भी मां भारती के गौरव पर आंच नहीं आने देंगेः लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नतमस्तक है।’

2- ‘शहीदों के परिजनों का त्याग पूजनीय है’
प्रधानमंत्री ने गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के बारे में बोलते हुए कहा, ‘अपने वीर सपूतों के बलिदान पर उनके परिजनों में जो गर्व की भावना है देश के लिए जो जज़्बा है, यही तो देश की ताकत है। बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं। वह कह रहे थे, अपने पोतों को भी देश की रक्षा के लिए सेना में भेजूंगा। यही हौसला हर शहीद के परिवार का है। वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है। भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है, उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है।’

3- ‘क्या हमें 2020 को खराब मान लेना चाहिए?’
2020 को एक अशुभ साल के तौर पर देखने के बारे में उन्होंने कहा, ‘ये साल कब बितेगा? अब लोगों में एक आम प्रश्न बन गया है। लोग यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द ये साल बीत जाए। मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं, लेकिन सवाल यही है कि क्या इन आपदाओं की वजह से हमें साल 2020 को खराब मान लेना चाहिए? मेरे प्यारे देश वासियों, बिलकुल नहीं। एक साल में एक चुनौती आए या पचास चुनौतियां। नंबर कम ज्यादा हो जाने से वह साल खराब नहीं हो जाता।’

4- ‘विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय’
दुनिया के देशों के प्रति भारत के व्यवहार के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘विद्या विवादाय धनं मदाय, शक्तिः परेषां परिपीडनाय। खलस्य साधोः विपरीतम एतत् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय। अर्थात् जो स्वभाव से दुष्ट है वो विद्या का प्रयोग व्यक्ति विवाद में, धन का प्रयोग घमंड में और ताकत का प्रयोग दूसरों को तकलीफ देने में करता है> लेकिन सज्जन की विद्या ज्ञान के लिए, धन मदद के लिए और ताकत रक्षा देने के लिए इस्तेमाल होती है। भारत ने अपनी ताकत हमेशा इसी भावना के साथ इस्तेमाल की है।’

5- ‘जन भागीदारी के बिना कोई मिशन पूरा नहीं होता’
‘वोकल फॉर लोकल’ मिशन के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोई भी मिशन जन भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता। इसलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहोयोग बहुत जरूरी है। आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे, तो समझिए देश को मजबूत करने की दिशा में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।’

6- ‘क्या कहती गंगा की धारा?’
विपत्तियों को झेलकर भी आगे बढ़ते रहने की भारत की परंपरा के बारे में बोलते हुए पीएम ने कहा, ‘हमारे यहां कहा जाता है, सृजन शास्वत है, सृजन निरंतर है यह कल-कल छल-छल बहती क्या कहती गंगा की धारा? युग-युग से बहता आता यह पुण्य प्रवाह हमारा। क्या उसको रोक सकेंगे, मिटनेवाले मिट जाएँगे। कंकड़-पत्थर की हस्ती, क्या बाधा बनकर आए। भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए। नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गढ़े गए, यानी संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही।’

7- ‘अनलॉक में चाहिए लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अब लॉकडाउन से देश बाहर आ चुका है और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इस दौरान लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता बरतनी है। मास्क पहनना और दो गज की दूरी बनाना बहुत जरूरी है। आप लापरवाही न बरतें। अपना भी ख्याल रखें और दूसरों का भी। इसी साल में, देश नये लक्ष्य प्राप्त करेगा, नयी उड़ान भरेगा, नयी ऊंचाइयों को छुएगा। मुझे पूरा विश्वास 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परंपरा है।’

8- ‘हम अपने आदर्शों के साथ आगे बढ़ रहें’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत का संकल्प है- भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा। भारत का लक्ष्य है- आत्मनिर्भर भारत। भारत की परंपरा है- भरोसा, मित्रता। भारत का भाव है- बंधुता। हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहें।’

9- ‘बारिश को लेकर वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं’
मॉनसून और किसान की समृद्धि के बीच के रिश्ते के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘देश के बड़े हिस्से में मॉनसून पहुंच चुका है। बारिश को लेकर वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं। बारिश अच्छी होगी तो किसान समृद्ध होगा। बारिश दोहन की भरपायी करती है। इसमें हमें अपना दायित्व निभाना है>’

10- ‘अनलॉक के समय में 2 बातों पर फोकस करना है’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोरोना के संकट काल में देश लॉकडाउन से बाहर निकल आया है। अब हम अनलॉक के दौर में हैं। अनलॉक के इस समय में, दो बातों पर बहुत फोकस करना है- कोरोना को हराना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, उसे ताकत देना।’

पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को उनकी जयंती पर याद किया।

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