नई दिल्ली. पीटर फ्रेडरिक को विश्वसनीयता प्रदान करने के लिए अमेरिका में कई संस्थानों और संगठनों का गठन किया गया। इनमें से एक की स्थापना साल 2007 में की गई, जिसका नाम ऑर्गेनाइजेशन फॉर इंडियन माइनॉरिटीज (ओएफएमआई) रखा गया। यूरोपीय संगठन डिसिनफोलैब ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के अल्पसंख्यकों के लिए ओएफएमआई की स्थापना की गई थी, लेकिन न तो इसमें कोई भारतीय शामिल था और न ही भारतीय मूल का कोई अल्पसंख्यक इसका हिस्सा था। पीटर को इसी तर्ज पर बनाए गए एक अन्य संगठन में भी प्रमुख स्थान दिया गया था, जिसका नाम सिख इनफॉर्मेशन सेंटर (एसआईसी) था। यह खालिस्तानी एजेंडे के लिए काम करता था।
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पीटर की विश्वसनीयता को और मजबूती दिलाने के लिए उनके नाम पर कई पुस्तकें भी प्रकाशित की गईं। साल 2007 में भिंडर द्वारा पंजीकृत एक कंपनी के माध्यम से ये प्रकाशित किए गए। ओएफएमआई की स्थापना भी इसी साल की गई और उन्हें लोगों की नजरों के सामने लाया गया। डिजाइन पहले चरण में जो कुछ भी हुआ था, उसी की लगभग एक प्रतिकृति लग रही थी, लेकिन इसमें इंफॉर्मेशन ने हथियारों की जगह ले ली थी।
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रिपोर्ट में बताया गया कि सारी चीजें चरणबद्ध तरीके से की गईं : उनके नाम से कुछ पुस्तकें प्रकाशित की गईं, न्यूज पोर्टल में कुछ लेख डाले गए। कुछ सोशल मीडिया अवतार बनाए गए और अब इन्हीं सबकी मदद से कुछ संभावित एम्प्लीफायरों से कनेक्ट करने का काम शुरू हुआ। इस प्रक्रिया में पहले विश्वास बनाने का काम किया गया और इसके बाद अपने एजेंडे के अनुरूप तय किया गया कि आंदोलन कब क्या-क्या और कैसे-कैसे करना है। और उनका एक ही एजेंडा था, दुनिया के सामने भारत की छवि को बिगाड़ना।
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इसमें आगे कहा गया, भिंडर-पीटर की जोड़ी द्वारा पहले महात्मा गांधी के नाम पर गलत बातों को प्रसार करने का काम किया गया। इनका मकसद भारत से जुड़ी अहिंसा की छवि को बिगाड़ना था। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि ओएफएमआई के साथ इस जोड़ी का नाम अमेरिका में गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाए जाने के हर मामले में सामने आते रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया, "हालांकि भारत की छवि को धूमिल करने और इसकी शांतिपूर्ण अहिंसात्मक छवि को बिगाड़ने के क्रम में यह आवश्यक था कि कुछ और भी बातें बताई जाए। इसलिए गांधी की छवि को बिगाड़ने के अपने लक्ष्य के साथ इनके द्वारा भारत का चित्रण एक 'फांसीवाद राज्य' के रूप में किया गया।"
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रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की छवि को बिगाड़ने का इनका चार चरणों में तय करने का निर्णय लिया गया
- अंहिसा और महात्मा गांधी को निशाना बनाना
- इसके बाद 'फांसीवाद भारत' के रूप में इसे दर्शाना।
- के-2 डिजाइन पर काम करते हुए भारत की अखंडता को निशाना बनाना।
- भारतीय मूल के अमेरिकी राजनेताओं के खिलाफ काम करके विदेशों में भारत के हितों को लक्षित करना और पाकिस्तान के गुनाहों पर पर्दा डालना, काबुल में गुरुद्वारे में बमबारी, पुलवामा हमले से भी पाकिस्तान को क्लीन चीट दिलाया जाना।