Friday, November 22, 2024
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नेताओं को चुनाव आयोग की ताकत का एहसास कराने वाले टीएन शेषन आज हैं ओल्ड एज होम में

शेषन ने जिस वक्त चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी संभाली थी, उस समय बिहार में चुनावों में बड़ी संख्या में गड़बड़ी के मामले सामने आते थे। शेषन इस चुनौती से कारगर तरीके से निपटे। शेषन ने बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारों का सख्ती से

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 10, 2018 14:04 IST
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नेताओं को चुनाव आयोग की ताकत का एहसास कराने वाले टीएन शेषन आज हैं ओल्ड एज होम में

नई दिल्ली: भारत में चुनावों में ज्यादा पारदर्शिता लाने के लिए पूरा चुनावी सिस्टम बदलने वाले और राजनीतिक दलों को पहली बार चुनाव आयोग की ताकत का एहसास कराने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन आज कल गुमनाम जिंदगी गुजार रहे हैं। 85 साल के शेषन घर से 50 किलोमीटर दूर ओल्ड एज होम में दिन गुजार रहे हैं।

उन्हें है भूलने की बीमारी

नवभारत टाइम्स (navbharattimes.com) में छपी खबर के मुताबिक, टीएन शेषन चेन्नई के एक ओल्ड एज होम 'एसएसम रेजिडेंसी' में दिन गुजार रहे हैं। उन्हें भूलने की भी बीमारी है। खबर बताती है कि शेषन सत्य साईं बाबा के भक्त थे। उनकी मृत्यु के बाद वह सदमे में आ गए थे। उन्हें 'ओल्ड एज होम' में भर्ती कराया था। वहां तीन साल रहने के बाद वह फिर से अपने घर चले गए, लेकिन वहां कुछ समय रहने के बाद वे फिर से 'ओल्ड एज होम' लौट आए। इन दिनों वे यहीं गुमनामी की जिंदगी गुजार रहे हैं।

देश में रखी साफ-सुथरे चुनाव की नीव
शेषन ने जिस वक्त चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी संभाली थी, उस समय बिहार में चुनावों में बड़ी संख्या में गड़बड़ी के मामले सामने आते थे। शेषन इस चुनौती से कारगर तरीके से निपटे। शेषन ने बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए चुनाव आयोग के अधिकारों का सख्ती से इस्तेमाल किया और राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर लालू यादव से लोहा लिया। शेषन अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी राजनीतिक दलों के दबाव में नहीं आए। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने एक तरह से देश में साफ-सुथरे चुनाव की नीव रखी। शेषन ने निष्पक्ष चुनाव के लिए पहली बार चरणों में वोटिंग कराने की परंपरा शुरू की। यह चुनाव मील का पत्थर बना था।

साईं बाबा के भक्त
शेषन सत्य साईं बाबा के भक्त रहे हैं। 2011 में जब साईं बाबा ने देह त्याग किया तो वह सदमे में चले गए थे। करीबियों के मुताबिक, 'उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी। ऐसे में रिश्तेदारों ने उन्हें चेन्नै के एक बड़े ओल्ड एज होम 'एसएसम रेजिडेंसी' में शिफ्ट करवा दिया। तीन साल बाद सामान्य होने के बाद अपने फ्लैट में रहने आ गए। लेकिन अभी भी वह कई दिनों के लिए ओल्ड एज होम चले जाते हैं।'

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