नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का भारी विरोध करते हुए कहा कि यह भारत और बंगाल विरोधी है। उन्होंने कहा कि बंगालियों को राष्ट्रभक्ति सिखाने की जरूरत नहीं है और अंडमान की जेलों में बंद कैदियों में 70 प्रतिशत बंगाली थे। डेरेक ने बंगाल के कई स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेज भी भारतीय लोगों की मनोस्थिति को नहीं तोड़ पाए।
उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग बंगाल के हितैषी बन रहे हैं। उन्होंने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा और यह मामला उच्चतम न्यायालय में भी जाएगा। विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए ब्रायन ने आरोप लगाया कि यह सरकार ‘‘‘नाजियों’’ की तरह कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार देश के नागरिकों को आश्वासन देने के लिहाज से काफी अच्छी है लेकिन अपने वादों को तोड़ने के लिहाज से ‘‘और भी ज्यादा अच्छी है।’’
उन्होंने जर्मनी के यातना केंद्रों की तुलना हिरासत केंद्रों से की और एनआरसी का संदर्भ देते हुए कहा कि शिविरों में बंद 60 प्रतिशत लोग बांग्लाभाषी हिन्दू हैं। तृणमूल सदस्य डेरेक ने कहा कि हम तानाशाही की तरफ देख रहे हैं और 84-85 साल पहले जर्मनी में जिस प्रकार के कानून और कदम उठाए गए, वैसे ही कदम यहां उठाए जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि पूर्वी पाकिस्तान में 1970 के दशक में धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि भाषा के आधार पर उत्पीड़न किया गया था।
उन्होंने कहा कि वहां से आए कई लोगों के दस्तावेज अब नहीं हैं, ऐसे में वे कैसे अपने दस्तावेज दिखा सकते हैं। ब्रायन ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में दो करोड़ लोगों ने अपनी नौकरियां गंवा दी। उन्होंने कहा कि जो लोग यहां हैं, सरकार उनका भी ठीक से ख्याल नहीं रख पा रही है।