नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के चर्चित पूर्व आला अफसर ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक से इस्तीफे की मांगा की है। दिल्ली पुलिस के सेवानिवृत्त एसीपी राजेंद्र बख्शी ने कहा, "घायल हवलदार को सांत्वना देने के लिए पुलिस कमिश्नर ने बहुत देरी से प्रयास किए। उनके खिलाफ इतनी नाराजगी है, उन्हें शर्म आनी चाहिए।" बख्शी ने आगे कहा, "अगर पटनायक ने पहले ऐसा किया होता, तो उन्हें अपने ही आदमियों द्वारा इस तरह के प्रदर्शन का सामना नहीं करना पड़ता।"
उन्होंने कहा, "वह अपने लिए काम करते रहे लेकिन सब कुछ गलत कर दिया। प्रदर्शन सीधे उनके खिलाफ था। उनकी सबसे बड़ी विफलता यह रही कि सभी प्रदर्शनकारियों ने उनकी बात सुनने से इनकार कर दिया।" पूर्व एसीपी ने कहा, "वह लीडर के रूप में विफल रहे। उन्हें एक लीडर, आईपीएस अधिकारी और दिल्ली के पुलिस कमिशनर के तौर पर अपनी हार और विफलता को स्वीकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।"
दिल्ली पुलिस कर्मचारी खफा इस बात को भी लेकर थे कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार की घटना को लेकर रविवार को दिए अपने फैसले में सब कुछ वकीलों के पक्ष में और पुलिस के खिलाफ लिखा था, तब पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक और दिल्ली पुलिस में चलने वाली आईपीएस लॉबी के बीच अंदरुनी उठा-पटक की धुरी का कथित केंद्र बिंदु रहने वाले विशेष आयुक्त लॉ एंड ऑर्डर (उस वक्त उत्तरी परिक्षेत्र के प्रभारी थे अब कुर्सी छिन चुकी है तीस हजारी कांड में उनके द्वारा बरती गई लापरवाही के चलते) संजय सिंह के मुंह क्यों सिले हुए थे?
मुखिया को लेकर इस तरह की नकारात्मक धारणा जिन वजहों से हवलदार, सिपाहियों के मन में बैठी, वह तमाम वजहें वाजिब भी नजर आती हैं। अगर पुलिस आयुक्त सहित तमाम आला पुलिस अफसरान तीस हजारी कांड के बाद भी सहानुभूतिपूर्ण रवैया 'अपनों' के साथ अपना लेते, तो मातहतों की नजर में कमिश्नर 'अमूल्य' का 'मूल्य' इस कदर कम न हुआ होता जिसके चलते मंगलवार को अपने ही दिल्ली पुलिस मुख्यालय की देहरी पर 'अपनों' के बीच सर-ए-राह दिल्ली पुलिस कमिश्नर को अपनों से ही अपनी छीछालेदर होती देखनी पड़ी।