नई दिल्ली: दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के बाहर पुलिसकर्मियों ने करीब 10 घंटे बाद प्रदर्शन खत्म किया। वह तीस हजारी कोर्ट में वकीलों के साथ झड़प के बाद पुलिसकर्मियों पर हुई कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। मंगलवार सुबह से ही पुलिसकर्मी दिल्ली पुलिस मुख्याल्य के बाहर पहुंचने लगे थे। जिसके बाद हजारों की तादात में जमा हुए पुलिसकर्मियों ने अपनी मांगें उठाईं। हालांकि, पुलिसकर्मियों अपनी मांगों को लेकर लिखित आश्वासन मांग रहे थे लेकिन उन्हें पुसिल अधिकारियों की ओर से मौखिक आश्वासन मिला।
“घायलों को मुआवजा, HC में पुनर्विचार याचिका”
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा ने पुलिसकर्मियों से काम पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा ने हड़ताली पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि घायल पुलिसकर्मियों को कम से कम 25 हजार रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। हालांकि, प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मियों की मांग के अनुसार यह लिखित में नहीं दिया गया है, सब मौखिक तौर पर है।
पुलिस अधिकारियों को करनी पड़ी कड़ी मेहनत
पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों को समझाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी। दिल्ली पुलिस के कई कमिश्नर, प्रदर्शनकारियों को समझाने में लगे थे। लेकिन, जब पुलिस अधिकारियों के एक संबोधित करने पर प्रदर्शनकारी पुलिसकर्मी प्रदर्शन खत्म करने को तैयार नहीं हुए तो पुलिस अधिकारियों ने वन-टू-वन बातचीत के जरिए सभी को समझाया कि जो भी उनकी मांगें हैं वह मानी जा रही हैं, लेकिन उनके लिए कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया जा सकता है।
पुलिसकर्मियों की मांगें
- जो भी पुलिस वाले सस्पेंड और ट्रांसफर हुए हैं, उन्हें बहाल किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पेटिशन दायर हो
- वकीलों के खिलाफ कार्रवाई हो
- घायलों को मुआवजा दिया जाए
- पुलिस यूनियन का गठन हो
- प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न हो
- पुलिस सुधार के लिए काम हो
- दिल्ली पुलिस का जोखिम भत्ता बढ़ाया जाए
- बिना जांच के किसी पुलिसवाले पर कार्रवाई न हो
- पुलिस पर मामले की ट्रायल दिल्ली से बाहर हो
उपराज्यपाल ने लिया संज्ञान
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने वकीलों के साथ झड़प के बाद मंगलवार को दिल्ली पुलिस कर्मियों के अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर स्थिति की समीक्षा की और कहा कि पूरे मामले में निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करना अनिवार्य है। उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, विशेष आयुक्त (खुफिया) प्रवीर रंजन ने उपराज्यपाल को मौजूदा स्थिति और उच्च न्यायालय के संबंधित आदेशों के बारे में जानकारी दी।
उपराज्यपाल ने क्या कहा?
उपराज्यपाल ने कहा कि वकील और पुलिस आपराधिक न्याय प्रणाली के महत्वपूर्ण खंभे हैं और उन्हें पूर्ण सद्भाव के साथ काम करना चाहिए। बैजल ने कहा, ‘‘हालिया दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मद्देनजर, दोनों के बीच विश्वास बहाल करना और यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि पूरे मामले में न्याय निष्पक्ष रूप से किया जाए।’’ बता दें कि दो नवंबर (बीता शनिवार) को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में पार्किंग को लेकर दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच विवाद हुआ था, जो बढ़कर एक हिंसक झड़प में तबदील हो गया था। इसमें कई वकील और पुलिसकर्मी घायल हुए थे।
पुलिसकर्मियों को मिला IAS एसोसिएशन का साथ
IAS एसोसिएशन और तमिलनाडु भारतीय पुलिस सेवा (IPS) एसोसिएशन द्वारा दिल्ली पुलिस का समर्थन किया गया है। केंद्रीय आईएएस एसोसिएशन ने दिल्ली पुलिस का समर्थन करते हुए कहा कि सभी दोषी वकीलों के लाइसेंस रद्द किए जाने चाहिए। वहीं, तमिलनाडु भारतीय पुलिस सेवा (IPS) एसोसिएशन ने कहा कि हम 2 नवंबर को दिल्ली में तीस हजारी कोर्ट में ड्यूटी पर पुलिसकर्मियों के खिलाफ हिंसा की हालिया घटना की निंदा करता है। इस संबंध में तमिलनाडु भारतीय पुलिस सेवा (IPS) एसोसिएशन ने एक लैटर भी जारी किया है।
प्रदर्शन से 'नाखुश' केंद्र सरकार
राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने जिस तरीके से सेवा आचरण का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शन किया उससे ऐसा लगता है कि केंद्र नाखुश है। हालांकि, सरकार को उनकी शिकायतों के लिए सहानुभूति भी है। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी । अधिवक्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच झड़प के बाद पुलिस के विरोध के मद्देनजर केंद्र सरकार का यह मानना है कि दिल्ली पुलिस का नेतृत्व इस स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम रहा, जिससे प्रतिकूल जनधारणा बनी।
दिल्ली पुलिस के शीर्ष स्तर में होगा बदलाव?
एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली पुलिस के शीर्ष स्तर पर बहुत जल्द बदलाव हो सकता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘पुलिस की वास्तविक शिकायत हो सकती है, लेकिन उन्हें उचित माध्यम से इस मुद्दे को उठाना चाहिए था। हम एक अनुशासित बल को भीड़ की मानिसकता विकसित करने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।’’ अधिकारियों ने बताया कि चूंकि पुलिस आवश्यक सेवा के तहत आती है, ऐसे में किसी भी परिस्थिति में कर्मियों का कर्तव्य केवल सेवा प्रदान करना है। पुलिस कानून की रक्षा करती है और इसलिए उसपर बड़ा दायित्व है।