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लोकसभा में समय बर्बाद नहीं हुआ, इसलिए पास हुए कई बिल: ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यहां बुधवार को कहा कि विरोध में भी गतिरोध न हो, यही विधायिका की मर्यादा और संसदीय लोकतंत्र की खूबसूरती भी है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में समय बर्बाद नहीं हुआ, इसलिए कई बिल पास हो पाए।

Reported by: IANS
Published on: December 18, 2019 20:57 IST
om birla- India TV Hindi
om birla

देहरादून: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यहां बुधवार को कहा कि विरोध में भी गतिरोध न हो, यही विधायिका की मर्यादा और संसदीय लोकतंत्र की खूबसूरती भी है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में समय बर्बाद नहीं हुआ, इसलिए कई बिल पास हो पाए। विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उनकी शिकायतों के समाधान के लिए विधायिकाओं की एक वर्ष में बैठकें जरूर होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 17वीं लोकसभा के दोनों सत्रों में समय की बबार्दी न होने से ही कई महत्वपूर्ण बिल पास हो सके।

बिरला ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती प्रदान करने और अनुभवों तथा नए विचारों को साझा करने के लिए पीठासीन अधिकारियों का यह सम्मेलन बहुत उपयोगी मंच है। उन्होंने कहा कि सभा में वाद-विवाद, असहमति और चर्चा होनी चाहिए, मगर व्यवधान नहीं होना चाहिए। विरोध करते हुए भी गतिरोध नहीं हो, यही लोकतंत्र की परंपरा रही है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि गतिरोध से लोकतंत्र की मूल भावना आहत होती है, क्योंकि इससे सदस्यों के अधिकारों का हनन होता है।

ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले सत्र के दौरान गतिरोधों के बावजूद जरा भी समय की बबार्दी नहीं हुई, जिससे 37 बैठकों में 35 विधेयक पारित हुए। इसी का नतीजा रहा कि लोकसभा के कामकाज के प्रदर्शन में बढ़ोतरी हुई। दूसरा सत्र भी इसी प्रकार हुआ। खास बात रही कि दोनों सत्रों में नए सांसदों को सवाल उठाने के लिए अधिक से अधिक मौके मिले।

ओम बिरला ने कहा कि 2021 में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के सौ साल पूरे हो जाएंगे। ऐसे में इस विशेष मौके पर विधायिका के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही को सुनिश्चित करना होगा। लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और उनकी शिकायतों के समाधान के लिए विधायिकाओं की एक वर्ष में निर्धारित बैठकें होनी चाहिए।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 17वीं लोकसभा के दौरान 135 प्रतिशत कार्य हुआ, वहीं शीतकालीन सत्र में कार्य उत्पादकता की दर 116 प्रतिशत रही, इससे पता चलता है कि लोकसभा अध्यक्ष ने कितनी कुशलता से कार्यवाही का संचालन किया।

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