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टिकैत हरियाणा के जींद में बुधवार को किसानों की महापंचायत में होंगे शामिल

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में बुधवार को हरियाणा के जींद जिले में किसानों की महापंचायत में शामिल होंगे। सर्वजातीय कंडेला खाप के प्रमुख टेकराम कंडेला ने मंगलवार को बताया कि कार्यक्रम के लिए जींद के कंडेला गांव में पर्याप्त व्यवस्था की गयी है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 02, 2021 22:35 IST
Tikait to attend farmers' mahapanchayat in Haryana's Jind on Wednesday- India TV Hindi
Image Source : PTI राकेश टिकैत कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में बुधवार को हरियाणा में किसानों की महापंचायत में शामिल होंगे।

चंडीगढ़: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के समर्थन में बुधवार को हरियाणा के जींद जिले में किसानों की महापंचायत में शामिल होंगे। सर्वजातीय कंडेला खाप के प्रमुख टेकराम कंडेला ने मंगलवार को बताया कि कार्यक्रम के लिए जींद के कंडेला गांव में पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। टिकैत के अलावा कई खाप नेता भी इसमें शामिल होंगे। कंडेला ने कहा कि किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए यह बड़ा जमावड़ा होगा। 

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करीब दो दशक पहले हरियाणा में किसानों का आंदोलन चलाने वाली कंडेला खाप ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को अपना समर्थन दिया है। दूसरी खाप ने भी आंदोलन का समर्थन किया है। टेकराम कंडेला ने कहा कि बुधवार के कार्यक्रम में कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग की जाएगी। 

बहरहाल, हरियाणा के भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी हिसार जिले के उकलाना में सूरेवाला चौक पहुंचे और किसानों को संबोधित किया। उन्होंने छह फरवरी को किसान यूनियनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी चक्का जाम का समर्थन करने को कहा। चढूनी ने किसानों के आंदोलन के मुख्य स्थलों में से एक गाजीपुर में प्रवेश रोकने के लिए बड़े-बड़े अवरोधक लगाए जाने की आलोचना की। 

इससे पहले राकेश टिकैत ने संकेत दिया कि सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध अक्टूबर से पहले खत्म नहीं होने जा रहा है। टिकैत ने कहा कि हमारा नारा है, ''कानून वापसी नहीं, तो घर वापसी नहीं।'' उन्होंने आगे बताया कि यह आंदोलन जल्द समाप्त नहीं होगा।

मालूम हो कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य जगहों के किसान कानूनों के विरोध में पिछले दो महीनों से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं। किसानों की मांग इन कानूनों को वापस लेने के अलावा, एमएसपी पर कानून बनाने की है। किसानों का दावा है कि सरकार ने ये कानून चंद उद्योगपतियों की मदद करने के लिए लाई है, जबकि केंद्र कानूनों को कृषि सेक्टर में सुधार लाने के लिए बताती रही है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा, ''हमने सरकार को बता दिया कि यह आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। अक्टूबर के बाद आगे की तारीख देंगे। बातचीत भी चलती रहेगी। नौजवानों को बहकाया गया है और उनको लाल किले का रास्ता बताया गया कि पंजाब की कौम बदनाम हो। किसान कौम को बदनाम करने की कोशिश की गई है।''

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