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Lockdown के कारण दिल्ली में साइकिल चालकों की संख्या में तीन गुना वृद्धि

भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान-दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि लॉकडाउन के कारण दिल्ली में साइकिल उपयोग में लाने वालों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई...

Reported by: IANS
Published on: August 07, 2020 10:19 IST
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Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE Lockdown के कारण दिल्ली में साइकिल चालकों की संख्या में तीन गुना वृद्धि

नई दिल्ली: भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान-दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि लॉकडाउन के कारण दिल्ली में साइकिल उपयोग में लाने वालों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई लेकिन इंफ्रास्टक्चर की कमी के कारण काम और फिटनेस के लिए साइकिल उपयोग में लाने वालों के लिए कई तरह की दुश्वारियां बनी हुई हैं। सर्वे 'लाइवलीहुड साइकिलिस्ट इन दिल्ली' नाम के इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि दिल्ली में 11 लाख साइकिल सवार हैं लेकिन यहां मात्र 100 किमी साइकिल ट्रैक है। ऐसे में अलग-अलग उद्देश्यों के लिए साइकिल का उपयोग करने वालों को रोजाना अनचाहे खतरों का भय सताता रहता है।

इस सर्वे में लगभग 1400 लोगों के शामिल किया गया, जिनमें से 97 प्रतिशत ने रोजाना के आवागमन के माध्यम के रूप में साइकिल का उपयोग करने की इच्छा जतायी लेकिन साथ ही वे कई चीजों को लेकर डरे हुए भी दिखे। इसमें सबसे प्रमुख उनकी सुरक्षा है। इस 'परसेप्शन स्टडी' में यह खुलासा हुआ कि सुरक्षित और सुविधाजनक साइक्लिंग इंफ्रास्ट्रक्च र का अभाव, डेडिकेटेड साइक्लिंग लाइंस का न होना, दूषित वायु और अनियंत्रित ट्रैफिक के चलते दिल्ली के अधिक लोग साइकिल की सवारी नहीं कर पा रहे हैं।

इसी कारण कई सामाजिक दिल्ली सरकार के सामने इन मुद्दों को रखने के लिए आगे आई हैं। इन संस्थाओं की मांग है कि दिल्ली सरकार जनता के लिए सुरक्षित साइक्लिंग ढांचा और स्थायी रूप से डेडिकेटेड साइकिल लेन्स स्थापित करे। इसके लिए हैशटैगदिल्लीधड़कनेदो कैंपेन शुरू किया गया है। यह दिल्ली में स्वच्छ वायु समाधानों और बेहतर एवं टिकाऊ सार्वजनिक परिवहन साधन विशेषकर साइक्लिंग को लेकर काम कर रहे नागरिक समाज संगठनों का सामूहिक प्रयास है। यह मुहिम दिल्ली को भारत का पहला साइक्लिंग-फ्रेंड्ली शहर बनाने में सहायता करने के लिए चलाया गया है।

इसके तहत दिल्ली सरकार के पास एक याचिका दिया जाना है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट पॉलिसी लाई जाये, जिसमें दो पहलुओं को प्राथमिकता मिले। पहला- साइकिल के लिए लेन बनाने को प्राथमिकता दिया जाना और दूसरा-परिवहन के कोविड-प्रूफ साधन के रूप में हर किसी को साइकिल के उपयोग की अनुमति देना।

दिल्ली में लम्बे समय से पर्यावरण, शिक्षा, सामाजिक उत्थान और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए काम कर रही अग्रणी गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) 'स्वच्छा' के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख विमलेंदु झा ने कहा, ''दिल्ली में साइकिलों के माध्यम से आजीविका चलाने वाले 91 प्रतिशत लोग हर रोज साइकिल चलाकर अलग-अलग जगहों पर जाते हैं, लेकिन क्या हमारी सड़कें सुरक्षित तरीके से पैदल और साइकिल से चलने के लिए डिजाइन की गई हैं? इसका उत्तर है, नहीं। दिल्ली के लगभग 11 लाख साइकिल चालकों के लिए मात्र 100 किमी साइकिल ट्रैक है। यही नहीं, दिल्ली कई वर्षों से वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। दिल्ली के वायु प्रदूषण की समस्या को परंपरागत साधनों जैसे कि साइकिल इंफ्रास्ट्रक्च र से हल नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए शहर के कोने-कोने तक कनेक्टिविटी भी बेहद जरूरी है। इसलिए, पैदल चलने वालों की सुरक्षा और दिल्लीं में पैदल व साइकिल से चलने के उनके अधिकार की रक्षा हेतु मजबूत नीतियों की सख्त आवश्यमकता है।''

दिल्ली सरकार के आंकड़े बताते हैं कि शहर में लगभग 11 लाख नियमित साइकिल उपयोगकर्ता हैं। यह आंकड़ा कोविड-19 महामारी से पहले से है और रुझानों से संकेत मिलता है कि संख्या केवल बढ़ेगी। आईआईटी- दिल्ली और रुड़की के पूर्व छात्रों द्वारा किए गए अध्ययन से यह साफ है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में साइकिल चलानों की संख्या चार फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो गई है।

दिल्ली में राहगिरी डे की सह-संस्थापक सारिका पांडा मानती हैं कि दिल्ली में अभी भी गतिशीलता के संकट से निपटना जरूरी है और शहर को पैदल चलने और साइकिल चलाने की योजनाओं के कार्यान्वयन की आवश्यकता है।

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